उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
हिमालय बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि अनियोजित विकास से प्रदेश में आपदाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने सरकार से पारिस्थितिकी को बिना छेड़े विकास करने की मांग की। रतूड़ी ने बताया कि घटते जंगल और…हिमालय बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने प्रदेश में पारिस्थितिकी तंत्र को बिना छेड़े विकास करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर अत्याधिक अनियोजित विकास का बोझ पड़ने से प्रदेश में आपदाएं आ रही हैं। मंगलवार को श्रीनगर के एक होटल में समीर रतूड़ी ने प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि पहाड़ में आपदाग्रस्त इलाकों का अध्ययन करने पर यह बात सामने आई है कि घटते जंगल और अनियोजित विकास के मॉडल आज प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय पहलू मात्र शब्दों और कागजी कार्रवाई तक सीमित रह गया है। सरकार को इस साल की आपदा के साथ ही पिछले कुछ वर्षों की आपदाओं का आकलन करना चाहिए।उनकी संस्था द्वारा किए गए अध्ययन से स्पष्ट है कि अपने यौवनकाल में हिमालय के पहाड़ पर अत्याधिक अनियोजित विकास का बोझ पड़ गया है। नदी के अपने नैसर्गिक मार्ग पर अनियोजित ढंग से विभिन्न प्रकार के निर्माण के चलते आपदा में कई लोगों की जान गई है। तीर्थाटन के नाम पर पर्यटन टूरिज्म को बढ़ावा देना भी एक गलत नीति है। सरकार जल्द ही इसमें सुधार नहीं करती है तो संभवत तीर्थस्थानों पर भी आपदा देखने को मिल सकती है। उन्होंने सरकार से यहां के पारिस्थितिकी को बिना छेड़े विकास के मॉडल तैयार करने की मांग की है। मौके पर द्वारिका प्रसाद सेमवाल, डॉ अरविन्द दरमोड़ा मौजूद रहे।
