उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
हर्षिल घाटी की जियोलॉजी, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव, ढीली एलुवियल मिट्टी, खड़ी ढलानें और ग्लेशियरों की उपस्थिति इसे भूकंप, बाढ़ और फ्लैश फ्लड के लिए बेहद संवेदनशील बनाती है. जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां इस जोखिम को और बढ़ा रही हैं. अगस्त 2025 की ताजा घटना हमें चेतावनी देती है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाना जरूरी है।हर्षिल घाटी, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बसी एक खूबसूरत जगह है, जो भागीरथी नदी के किनारे 2,745 मीटर (9005 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. यह घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सेब के बागानों और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थल के रास्ते के लिए जानी जाती है. लेकिन इस घाटी की भूगर्भीय संरचना और भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप, बाढ़ और फ्लैश फ्लड जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है. आइए, वैज्ञानिक तथ्यों और शोध के आधार पर समझते हैं कि हर्षिल घाटी की जियोलॉजी कैसी है? ये आपदाएं क्यों बार-बार आती हैं?
