उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
कानपुर देहात में मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां मेडिकल कॉलेज में 11 घंटे मरीज का शव बेड पर पड़ा रहा। प्राचार्य ने सीएमएस से रिपोर्ट मांगी है।एक मरीज को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी से शनिवार दोपहर करीब 2:45 बजे कानपुर के हैलट रेफर कर दिया गया। करीज को ले जाने की कागजी कार्रवाई में ही करीब आठ घंटे बीत गए। मरीज के साथ कोई तीमारदार नहीं होने पर थाने से जब होमगार्ड पहुंचा तो एंबुलेंस नहीं मिली। सारी अव्यवस्थाओं के बीच रात लगभग दस बजे मरीज की मौत हो गई। रात भर उसका शव बेड पर पड़ा रहा। वार्ड में भर्ती अन्य मरीज डर कर वार्ड छोड़कर चले गए। सुबह डीएम को जब जानकारी हुई तो नौ बजे शव को मोर्चरी में रखवाया गया। इस मामले में प्राचार्य ने सीएमएस से रिपोर्ट मांगी है।मेडिकल काॅलेज की इमरजेंसी में शनिवार दोपहर 1:15 बजे दो व्यक्ति एक युवक को लेकर पहुंचे थे। मरीज का नाम सुंदर (25) बता कर भर्ती कराया। इसके बाद दोनों चले गए। प्राथमिक इलाज के बाद मरीज को इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर-छह पर लिटा दिया गया। इमरजेंसी में तैनात डॉ. मनीष के मुताबिक, मरीज को उल्टियां हो रही थीं और वह बेहोशी की हालत में था। हालत में सुधार न होने पर 2:45 बजे उसे हैलट कानपुर रेफर कर दिया गया। डॉक्टर ने बताया कि मरीज के साथ किसी के नहीं होने पर उसके साथ गार्ड भेजने के लिए अकबरपुर कोतवाली को सूचना भेजी गई। एक अस्पताल कर्मी पीआई (पुलिस इन्फॉर्मेशन) लेकर गया मगर थाने से गार्ड नहीं मिला। रात आठ बजे दोबारा पीआई भेजी गई। इधर, मरीज की रात लगभग 10 बजे मौत हो गई। देर रात तक शव बेड पर पड़ा रहा तो पास के बेड पर भर्ती मरीज वार्ड से बाहर आ गए। मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद सुबह नौ बजे एक सफाई कर्मी ने शव हटाकर इमरजेंसी के बगल में बने मोर्चरी में रखवाया। करीब 11 घंटे तक शव बेड पर पड़ा रहा।जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चल रही इमरजेंसी
मेडिकल कॉलेज में डाॅक्टरों की भरमार है मगर इन दिनों इमरजेंसी की व्यवस्था जूनियर डॉक्टरों के हवाले है। इससे इमरजेंसी की स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी नजर आ रही हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर भी बुलाने पर देरी से पहुंचते हैं। शनिवार की रात इमरजेंसी में डॉ. मनीष, फार्मासिस्ट अजय विश्वकर्मा, वार्ड ब्वाय राशिद की ड्यूटी थी। दो चतुर्थश्रेणी कर्मी भी थे। वार्ड में भर्ती मरीज सुंदर की हालत बिगड़ी, स्टाफ नर्स भी बार-बार इमरजेंसी में आकर जानकारी देती रही। देर रात जब उसकी मौत हो गई तो एक स्टाफ नर्स ने इमरजेंसी आकर शव बेड से हटवाकर मोर्चरी में रखवाए जाने की बात कही मगर किसी स्वास्थ्य कर्मी ने अपना दायित्व नहीं निभाया। सभी चतुर्थश्रेणी कर्मी के न होने की बात कह अनसुना करते रहे।
अस्पताल में ही पुलिस चौकी व मोर्चरी, फिर भी नहीं हटा शव
मेडिकल कॉलेज परिसर में ही इमरजेंसी के सामने पुलिस चौकी बनी है। पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं। साथ ही इमरजेंसी के बगल में मोर्चरी है। इसके बावजूद इमरजेंसी से शव हटाने में स्वास्थ्य कर्मियों को 11 घंटे लग गए। इस व्यवस्था को लेकर पुलिस व स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यशैली पर मरीज व उनके साथ अस्पताल में मौजूद अन्य तीमारदारों ने सवाल उठाए। शाम पांच बजे के करीब पीआई आई थी, जिसमें मरीज का नाम लिखा था, नाम व पता अज्ञात दर्ज था। इस पर पूछा गया कि लाने वाले अज्ञात क्यों लिखे है़, मरीज आया कैसे? इस सवाल पर अस्पताल कर्मी यह कह कर पीआई को वापस ले गया कि इसे ठीक कराकर आते हैं। इसके बाद रात आठ बजे दोबारा पीआई आई थी। चौकी प्रभारी भागमल को जानकारी देते हुए होमगार्ड विजय पांडेय की रवानगी की गई। वहां डॉक्टर व स्टॉफ ने बताया कि एंबुलेंस आ रही है, त्योहार है इस वजह से बहुत से कर्मचारी अवकाश पर हैं। होमगार्ड अस्पताल में ही चक्कर लगाता रहा। एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद पता चला कि मरीज की मौत हो गई है। दोबारा पीआई भेजने की बात कही गई। – सतीश सिंह, निरीक्षक, अकबरपुर थाना,मरीज के रेफर किए जाने की जानकारी पर एंबुलेंस बुलाई गई थी। एंबुलेंस नहीं आने की बात गलत है। रात में एक वार्ड ब्वाय व एक सफाई कर्मचारी ड्यूटी से अनुपस्थित थे। इसलिए इमरजेंसी से शव नहीं हट सका। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. वंदना सिंह, सीएमएस मैंने स्वयं इमरजेंसी जाकर जानकारी की है। मरीज की मौत रात 10:40 बजे होने की जानकारी मिली है। इमरजेंसी में किस डॉक्टर व कर्मचारी की ड्यूटी थी, किस स्तर पर लापरवाही की गई है, इसकी रिपोर्ट सीएमएस से मांगी है। लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. सज्जन लाल वर्मा, प्राचार्य मामला संज्ञान में आया है। अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारी जाएंगी। कर्मचारी वेतन ले रहे हैं, किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
