उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
पिछले कुछ सालों में हिमालय के पहाड़ों पर तेजी से निर्माण कार्य बढ़ा है और भीड़ जुटने लगी है। इससे हिमालय में मानसून का मिजाज बिगड़ रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन गतिविधियों से बारिश का पैटर्न बदल गया है।उत्तराखंड सहित पूरे मध्य हिमालयी क्षेत्र में मानसून की चाल तेजी से बिगड़ रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण वाहनों की भीड़ और तेजी से हो रहे निर्माण कार्य हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे बारिश का पैटर्न भी बदल रहा है। कहीं सूखा और कहीं भीषण बारिश में इजाफा हो रहा है।नैनीताल क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों से कार्बन डाईऑक्साइड में हर साल 2.66 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) और मीथेन में 9.53 पार्ट्स प्रति बिलियन (पीपीबी) की औसत वृद्धि दर्ज की गई है। इस परिदृश्य को हिमालयी पारिस्थितिकी, जैवविविधता, खेती समेत पूरे भारत की जल व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनीताल और इसके आसपास के क्षेत्र में पहले औसतन दो हजार एमएम बारिश मानसून में होती थी। इसमें एक दशक में 500 से 600 एमएम कमी आई है। मानसून में वर्षा के दिन घटे हैं, लेकिन तीव्रता बढ़ गई है।
देशभर में बारिश का संतुलन गड़बड़ाया
एरीज ने कुछ अन्य संस्थानों के साथ मिलकर हाल ही में एक शोध किया है। अध्ययन में दो हजार मीटर से अधिक ऊंचाई के आंकड़े जुटाए गए। इसमें पता चला है कि 2000 मीटर से नीचे के इलाकों में हल्की बारिश, मध्यम और भारी बारिश का संतुलन गड़बड़ा गया है। हल्की बारिश का प्रतिशत सभी जगह कम हुआ है। एरीज के निदेशक एवं वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा और वरिष्ठ वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह के अनुसार, वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर से ये अंतर आया है। लोगों की भीड़, कंस्ट्रक्शन.. हिमालय पर इसलिए बिगड़ा मानसून का मिजाज; एक्सपर्ट्स जता रहे चिंता,ये बदलाव केवल नैनीताल ही नहीं, पूरे मध्य हिमालय में है।
