उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
सावन में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर भव्य मेलों का आयोजन भी होता है, जो भक्ति और आस्था के साथ-साथ संस्कृति की झलक भी पेश करते हैं। चलिए जानते हैं सावन के महीने में देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले कुछ प्रसिद्ध मेलों के बारे में।सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान पूरे देश में शिवभक्ति की लहर दौड़ जाती है। लाखों श्रद्धालु कांवड़ लेकर जलाभिषेक के लिए निकलते हैं और भोलेनाथ की जय जयकार से वातावरण गूंज उठता है। सावन में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर भव्य मेलों का आयोजन भी होता है, जो भक्ति और आस्था के साथ-साथ संस्कृति की झलक भी पेश करते हैं। इन मेलों में भक्तों की भीड़, शिव मंदिरों की सजावट और उत्सव का माहौल देखने लायक होता है। चलिए जानते हैं सावन के महीने में देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले कुछ प्रसिद्ध मेलों के बारे में जहां एक बार घूमने जरूर जाना चाहिए।हरिद्वार का सावन मेला
सावन का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध मेला हरिद्वार में लगता है। हरिद्वार को शिवजी का धाम कहा जाता है और सावन में यह स्थान शिवभक्तों से भर जाता है। यहां हर साल लाखों कांवड़िए आते हैं, गंगा जल भरते हैं और पैदल चलकर शिव मंदिरों में जल चढ़ाने जाते हैं। इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस और प्रशासन की तरफ से विशेष इंतजाम किए जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो। यह मेला सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद खास होता है।काशी का सावन उत्सव, काशी यानी बनारस को भगवान शिव की नगरी माना जाता है। यहां सावन का महीना बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष झूला श्रृंगार होता है, जिसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यहां सात अलग-अलग मार्गों से कांवड़िए भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। काशी में सावन के दौरान शिव मंदिरों की सजावट, श्रद्धालुओं की भीड़ और गंगा आरती का दृश्य देखने लायक होता है।सोमनाथ मंदिर में भी रहता है उत्सव का माहौल,गुजरात का सोमनाथ मंदिर, शिवजी का बहुत ही प्राचीन और पवित्र मंदिर है। सावन के महीने में इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक ये मंदिर खुला रहता है (टाइमिंग बदलती रहती है) और हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। सोमनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यूं तो साल भर यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में यहां भक्ति का अलग ही माहौल देखने को मिलता है।
देवघर का श्रावणी मेला है खास
झारखंड के देवघर जिले में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िए बिहार के सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। ये मेला सावन के दौरान सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। पूरा देवघर इलाका भक्तों से भर जाता है और प्रशासन की तरफ से विशेष इंतजाम किए जाते हैं। यहां की कांवड़ यात्रा बहुत ही कठिन मानी जाती है, लेकिन श्रद्धालु पूरे जोश और भक्ति से इस यात्रा को पूरा करते हैं।ओंकारेश्वर में सावन की धूम देखते बनती है!
मध्य प्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर ओम के आकार के एक छोटे से द्वीप पर स्थित है। सावन के महीने में यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा, रुद्राभिषेक और धार्मिक आयोजन होते हैं। यहां पहुंचने के लिए इंदौर सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जो लगभग 77 किलोमीटर दूर है, जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर है। सावन के महीने में ओंकारेश्वर की यात्रा एक दिव्य अनुभव है।
