उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
उत्तरकाशी का धराली गांव आपदा की भेंट चढ़ चुका है. लेकिन किसी जमाने में गांव की खूबसूरती ने लोगों के दिल जीत लिए थे।हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड बेहद खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश है. यहां बहने वाली नदियां, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, झील-झरनों के साथ ही धार्मिक और पर्यटन स्थल देश ही नहीं दुनियाभर के लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं. धराली आपदा से दुनिया भर चर्चा का विषय बना उत्तरकाशी जिला भी अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. खास बात है कि जो हर्षिल और उसके अंतर्गत आने वाला धराली इन दिनों आपदा के कारण चर्चाओं में बना हुआ है, वही हर्षिल धराली 1985 में एक फिल्म के जरिए पर्यटन के क्षेत्र में अमर हो चुका है.
हम बात कर रहे हैं 1985 में आई राज कपूर की आइकॉनिक फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ की. इस फिल्म की शूटिंग उत्तरकाशी की हर्षिल वैली में ही हुई थी. उस दौरान इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता ने न केवल राज कपूर को मंत्रमुग्ध किया था, बल्कि फिल्म के बाद देश-विदेश के पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित किया।हर्षिल की वादियों के बीच फिल्म की शूटिंग:1985 में रिलीज हुई फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ ने न केवल अपनी कहानी से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि हर्षिल की प्राकृतिक सुंदरता को भी दुनिया भर में पहचान दिलाई. राज कपूर इस क्षेत्र की खूबसूरती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फिल्म के कई महत्वपूर्ण दृश्य यहीं शूट किए।फिल्म का सबसे चर्चित दृश्य:फिल्म का सबसे चर्चित दृश्य जिसमें अभिनेत्री मंदाकिनी एक झरने के नीचे नहाती नजर आती हैं, वो हर्षिल में ही शूट किया गया था. इस झरने का नाम बाद में मंदाकिनी झरनाही पड़ गया. इतना ही नहीं, ‘हुस्न पहाड़ों का’, ‘ओ साहिबा’जैसे सुपरहिट गीत भी हर्षिल की घाटी में फिल्माया गए हैं. इस गीत में बर्फीली चोटियां, घने जंगल और भागीरथी नदी का प्रवाह खूबसूरती से दिखाया गया है. फिल्म में कई प्रेम दृश्य और गंगोत्री यात्रा से जुड़े सीन हर्षिल और धराली के आसपास शूट किए गए हैं, जो इस क्षेत्र की शांत और खूबसूरती को और भी चार चांद लगाते हैं।आखिरी डाकघर के सीन:हर्षिल में भारत-चीन सीमा पर स्थित आखिरी डाकघर के आसपास भी फिल्म के कुछ दृश्य फिल्माए गए थे. उस सीन अभिनेत्री मंदाकिनी चिट्ठी का इंतजार करती थी. इस डाकघर से पर्यटक रूबरू हो सकें, इसके लिए प्रशासन ने ‘राम तेरी गंगा मैली’ के एक दृश्य का पोस्टर भी लगाया. यह डाकघर आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. आने वाले पर्यटक आज भी भारत-चीन सीमा का डाकघर देखने आते हैं।हर्षिल को कहा जाता है भारत का स्विट्जरलैंड: हर्षिल के जिस इलाके यानी धराली में ये आपदा आई, उसे भारत का ‘स्विट्जरलैंड’ भी कहा जा सकता है. उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के किनारे बसे ये छोटे-छोटे गांव अपने आप में बेहद संपन्न हैं. यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भारत का ‘स्विट्जरलैंड’ कहलाता है. चारों ओर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां, घने देवदार के जंगल और भागीरथी का शांत प्रवाह इस जगह को स्वर्ग सा बनाते हैं. सर्दियों में जब बर्फ की चादर इस क्षेत्र को ढक लेती है तो यह और भी मनमोहक हो जाता है।स्थानीय पर्वतारोही संजय सैनी, जो इस क्षेत्र को अच्छी तरह जानते हैं, बताते हैं कि हर्षिल और धराली की खूबसूरती, बर्फबारी के दौरान और निखर जाती है. बर्फ से ढके पहाड़ और शांत वादियां किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती हैं। यही वजह थी कि राज कपूर ने अपनी फिल्म राम तेरी गंगा मैली के लिए इस जगह को चुना।प्रकृति को समझने की जरूरत: इस एक फिल्म ने ना केवल कई मुकाम हासिल किए बल्कि हर्षिल को पर्यटन मानचित्र में एक खास जगह भी दिलाई. संजय सैनी कहते हैं कि यहां की शांति और प्राकृतिक सुंदरता ऐसी है कि हर कोई इसे देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है. राज कपूर ने इस जगह को अपनी फिल्म के जरिए अमर कर दिया।
