उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
रात करीब साढ़े 12 बजे भयंकर धमाके के साथ तेज बहाव में आए मलबे ने तबाही के रूप में थराली कस्बे में दस्तक दी। पीड़ितों का कहना है कि ऐसा लगा मानो बम फटा हो। हमारे पास सिर्फ दो मिनट का समय बचा था।चमोली जिले के थराली में 22 अगस्त की रात आए सैलाब के संकेत शाम छह बजे शुरू हुई बारिश के बाद ही मिलने लगे थे। पीड़ितों की मानें तो उन्होंने ऐसी बारिश पहले कभी नहीं देखी। रात करीब साढ़े 12 बजे भयंकर धमाके के साथ तेज बहाव में आए मलबे ने तबाही के रूप में थराली कस्बे में दस्तक दी। वक्त रहते ऊपरी क्षेत्र में बसे टुनरी गांव के लोगों ने फोन कर सचेत कर दिया, जिससे अधिक जनहानि होने से बच गई लेकिन लोगों की जीवनभर की कमाई से खड़े मकान-दुकान जमींदोज हो गए। उन्हें अब इस आपदा से उबरने में सालों लगेंगे। ‘हिन्दुस्तान’ के संवाददाता विनोद मुसान और क्रांति भट्ट ने कुछ आपदा पीड़ितों से बात कर उनका दर्द जाना।मेरी दुकान बर्बाद हो गई अब आगे क्या करूंगा,थराली के बलवीर रावत बताते हैं, पड़ोस में रहने वाले वकील साहब जय सिंह बिष्ट जी समय पर आवाज देकर न उठाते तो पता नहीं क्या होता। हम तो गहरी नींद में थे। आधी रात को जब मलबे के साथ पानी का सैलाब आया तो बाहर वकील साहब के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी।जान बचाने को बस दो मिनट बचे थे
धमाका इतना तेज था कि मानो बम फटा हो। अब बहुत तेजी के साथ बाहर की ओर भागे, बस यही दो मिनट थे, जब जान बच गई। घर के ऊपर की ओर से मलबा आया। सारा सामान बर्बाद हो गया। दो बालिका और एक बालक घर पर ही थे। पत्नी किसी काम से दिल्ली गई थीं। मेरी तो दुकान भी बर्बाद हो गई। आसपास की दुकानें भी तहस-नहस हो गईं। बोले, सीएम धामी ने बुलाया है। उनके सामने अपनी विपदा रखूंगा। आगे का जीवन कैसे चलेगा, अब जब सबकुछ तबाह हो गया है। वहीं गंगा सिंह बिष्ट के भी घर में दरारें आ गई हैं। भीतर मलबा भरा पड़ा है। उनकी 80 वर्षीय माता जी साथ में रहती हैं, बेटा देहरादून में पढ़ता है।
80 से अधिक दुकानें और घर मलबा
चमोली जिले के थराली क्षेत्र में शुक्रवार की रात आई आपदा ने कई घर और दुकानों को तहस-नहस कर दिया। जानकारी के अनुसार, 80 से अधिक दुकानें और घर मलबे की चपेट में आए, जिनमें कुछ पूरी तरह जमींदोज हो गए और कुछ गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए। इसके साथ ही कई गाड़ियां भी मलबे में दब गईं।ऐसा लगा मानो बम फटा
थराली निवासी और पेशे से वकील जय सिंह बिष्ट ने बताया कि उनका घर पूरी तरह तबाह हो गया। बिष्ट ने बताया कि शाम छह बजे बारिश शुरू हुई थी और रात करीब साढ़े बारह बजे उनकी पत्नी सावित्री ने उन्हें बाहर धमाके जैसी आवाज सुनाई। कुछ ही देर में उनके घर की छत पर मलबे के साथ दो कारें आ गिरीं। बिष्ट और परिवार के अन्य सदस्य किसी तरह बाहर निकलकर आस-पड़ोस के लोगों को सचेत कर सके। उनके तीन बच्चे उस समय घर में नहीं थे। सीमेंट और सरिया बेचने वाले लक्ष्मी प्रसाद जोशी की दो दुकानें मलबे में दब गईं। उन्होंने बताया कि 25 से 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें 35-40 हजार रुपये कैश भी शामिल थे। दर्शन सिंह वर्षों से हार्डवेयर और निर्माण सामग्री बेच रहे हैं, उनकी चार दुकानें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। उन्होंने बताया कि इस आपदा के दौरान ताऊजी गंगा दत्त जोशी मलबे में फंस गए और उन्हें बमुश्किल बचाया गया।
स्थानीय प्रशासन की पहल और राहत की स्थिति
आपदा के समय स्थानीय लोग एक-दूसरे की मदद करते हुए सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। कई लोग कुलसारी पॉलिटेक्निक तक पहुंचे और वहीं सुरक्षित हुए। प्रशासन ने मलबे को हटाने और क्षतिग्रस्त संरचनाओं की मरम्मत के लिए कार्य शुरू कर दिया है।स्थानीय लोग अब जिंदगी को पटरी पर लाने और नुकसान की भरपाई करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जय सिंह बिष्ट और दर्शन सिंह ने बताया कि इस भयंकर आपदा ने उनकी जिंदगी और व्यवसाय को तहस-नहस कर दिया है और आगे आने वाले समय में जीवन और परिवार की जिम्मेदारियों को संभालना चुनौतीपूर्ण होगा।
