उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तिगरी में गंगा मेला दुग्धाभिषेक और महाआरती के साथ शुरू हुआ। ‘हर-हर गंगे’ के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। अधिकारियों और संतों ने हवन-पूजन में भाग लिया। काशी की तर्ज पर महाआरती हुई और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। गंगा की रेती पर साधु-संतों का कल्पवास शुरू हो गया है। संतों ने मेले को सनातन धर्म का महत्वपूर्ण आयोजन बताया।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ऐतिहासिक तिगरी गंगा मेला का दुग्धाभिषेक व महाआरती के साथ भव्यता और दिव्यता संग शुभारंभ हो गया। इस बीच हर-हर गंगे के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। काशी की तर्ज पर महाआरती श्रद्धालुओं के मन को भाई। हर तरफ पीए सिस्टम के जरिए मंत्रों की गूंज से मेलास्थल गुंजायमान हो गया। मेला के उद्घाटन के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला भी शुरू हो गया।कार्तिक पूर्णिमा पर प्रत्येक वर्ष तिगरी गंगा मेला आयोजित होता है। जिसमें पिछले साल करीब 30 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बार प्रशासन ने 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई है और उसके हिसाब से ही तैयारियां की हैं। शनिवार की शाम करीब पांच बजे गंगा तट पर हवन-पूजन किया गया।इसमें मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह व डीआईजी मुनिराज के अलावा डीएम निधि गुप्ता वत्स, एसपी अमित कुमार आनंद, सीडीओ एके मिश्र, एडीएम वित्त गरिमा सिंह, एडीएम न्यायिक धीरेंद्र प्रताप सिंह के अलावा शिक्षक विधायक डा.हरि सिंह ढिल्लो, हसनपुर विधायक महेंद्र सिंह खड़गवंशी, श्री वेंक्टेश्वरा विश्व विद्यालय के प्रति कुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने हवन में आहुतियां दीं।इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ गंगा मैया का दुग्धाभिषेक किया गया। तत्पश्चात काशी की तर्ज पर महाआरती का आयोजन हुआ। जिसने मेलाधाम पर अलग ही छटा बिखेरी। पीए सिस्टम से उसको जोड़ा गया। जिससे पूरा तिगरीधाम भक्तिमय हो गया। हर ओर मंत्रों की गूंज सुनाई दी। जिससे श्रद्धालु भी आनंदित हो उठे।गंगा की रेती पर अनोखे अंदाज में साधु-संतों का कल्पवास
गंगा की रेती पर सुबह के समय हल्की ठंड के मौसम में जप-तप, स्नान-दान, कीर्तन-प्रवचन आदि के लिए बसी तंबुओं की एक धार्मिक नगरी पूरी तरह से तैयार है। शनिवार को विधिवत मेले का शुभारंभ भी हो गया। जिसमें न सिर्फ पुण्य कमाने के लिए लाखों श्रद्धालु बसे हुए हैं बल्कि यहां पर साधु-संत कल्पवास भी कर रहे हैं। अब संख्या बढ़ने लगी है। इसलिए साधु-संत भी अपने डेरों के साथ सेक्टर-1 में गंगा के किनारे पर बसते हुए अद्भुत, आनंदित और अनोखे अंदाज में कल्पवास करने में जुट गए हैं।इन संतों के रंग निराले हैं। इस मेले में पूरे तमाम जगह पर साधु-संत अपनी धूनी रमाए तपस्यारत या फिर कीर्तन-प्रवचन करते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं कोई-कोई बाबा तो लंबी जटाओं के साथ मेले में घूमकर इस आस्था की नगरी की शोभा बढ़ा रहे हैं। जूना अखाड़ा, पंचदशानन आह्वान अखाड़ा, श्रीखड़ दर्शन साधु सेवा समिति व नागा साधु के डेरे मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं। भोर से ही इन संत की भीड़ मां गंगा के किनारे पहुंच जाती है तथा स्नान कर जप, तप व हवन का सिलसिला चलता है। इन साधु-संत के दिनभर के क्रिया-कलाप भक्ति से परिपूर्ण हैं। भक्तों की भीड़ दिनभर इनके सानिंध्य में हवन में आहुति देकर पुण्य लाभ कमा रहे हैं।तिगरी मेले को लेकर प्रमुख संत ने व्यक्त किए विचार, डॉ. कर्णपुरी जी महाराज ने कहा कि हर वर्ष मां गंगा हमें बुलाती हैं। यहां आकर अध्यात्म का रंग बढ़ जाता है। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ साक्षी है कि मां गंगा सबका भला करती हैं। सनानत की यही पहचान है। सनानत को आगे ले जाने के लिए इस प्रकार के भव्य आयोजन होने चाहिए। अग्रिम वर्ष यहां अमृत स्नान भी करेंगे।नरोत्तम गिरी जी महाराज बोले, सनातन का अर्थ क्या है, क्यों विश्व आज सनातन को अपना रहा है। कुंभ के बाद इस भव्य मेले में आकर यह स्पष्ट पता चलता है। यहां मां गंगा के आंचल में रह कर परम आनंद की प्राप्ति होती है। प्रात:काल स्नान, जप, तप व हवन ही हमारी परंपरा की पहचान है। बुद्ध बाबा जी महाराज ने विचार व्यक्त करते हुए कहा, कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भव्य स्नान होगा। जिसके लिए संत समाज प्रतिक्षारत है। कुंभ की भांति तिगरी मेले को भी भविष्य में पूरे सनानती रंग में रंगना है। यह मेला दिव्य, भव्य व श्रद्धा से परिपूर्ण है। गंगा मां के आंचल में भक्ति व श्रद्धा का अद्भुत संगम है यह मेला।हरिओम गिरी जी महाराज ने कहा कि पवित्र स्नान के बाद प्रतिदिन दिनचर्या शुरू होती है। दिनभर होने वाले धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मां गंगा के आशीर्वाद से मेला सकुशल संपन्नता की ओर अग्रसर है। यहां धार्मिक कर्म कर असीम आनंद की प्राप्ति हो रही है।
