उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चंद्र ग्रहण लगता है. साल का पहला चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025, रविवार को लगने जा रहा है. इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत और विदेश की भौगोलिक स्थिति पर भी देखने को मिलेगा।7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा पर साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा, जो भारत में दृश्यमान होगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा और कुंभ राशि और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा. खगोलविदों के अनुसार, चंद्र ग्रहण पृथ्वी की स्थिति के कारण होता है. पृथ्वी जब वह सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है. आइए जानते हैं कि साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का देश और दुनिया की भौगोलिक स्थिति पर कैसा प्रभाव रहने वाला है।
