उत्तराखंड डेली न्यूज ;ब्योरो
देहरादून में त्रिपुरा के अंजेल चकमा की मौत के बाद परिवार ने नस्लीय टिप्पणी और हमले का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने नस्लीय एंगल को नकारते हुए इसे आपसी विवाद बताया है; मामले में पांच आरोपी गिरफ्तार हैं।देहरादून में त्रिपुरा के 24 साल के युवक अंजेल चकमा की मौत ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। दिसंबर की शुरुआत में हुई इस घटना में अंजेल की जान चली गई। परिवार का दावा है कि यह नस्लीय हमला था, जबकि पुलिस इसे साधारण झगड़े से जोड़ रही है। दोनों पक्षों के बयानों से मामला और उलझ गया है।क्या है मामला? अंजेल चकमा और उनका छोटा भाई माइकल देहरादून के सेलाकुई इलाके में खरीदारी कर रहे थे। वहां छह युवकों का ग्रुप शोर मचा रहा था। माइकल के अनुसार, इनमें से कुछ ने “चिंकी”, “चाइनीज” और “मोमो” जैसे नस्लीय शब्द कहे। जब भाइयों ने इसका विरोध किया, तो बात हाथापाई तक पहुंच गई। हमलावरों ने चाकू और कड़े से वार किया। माइकल घायल हो गए, जबकि अंजेल की चोटें गंभीर थीं। अस्पताल में इलाज के दौरान अंजेल की मौत हो गई।
परिवार का आरोप: पुलिस गवाह की बात अनसुनी कर रही
टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंजेल के चाचा मोमेन चकमा ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “माइकल घटना का इकलौता चश्मदीद गवाह है। वह वहां मौजूद था और उसने सब कुछ देखा। फिर भी पुलिस उसकी बात को नजरअंदाज कर रही है।” परिवार का कहना है कि जांच पूरी होने से पहले ही पुलिस सार्वजनिक बयान दे रही है। मोमेन ने पूछा, “क्या हमारी बात को गंभीरता से लिया जा रहा है?
“पुलिस का पक्ष: नस्लीय एंगल के सबूत नहीं
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने मंगलवार को सफाई दी। उन्होंने कहा कि माइकल की शुरुआती शिकायत में केवल जातिसूचक गालियों का जिक्र था, नस्लीय गालियों का नहीं। एसएसपी ने बताया कि छह आरोपियों में से दो मणिपुर और नेपाल के हैं। इसलिए नस्लीय मकसद की संभावना कम लगती है। पुलिस के मुताबिक, आरोपी आपस में मजाक कर रहे थे और चकमा भाइयों ने गलत समझ लिया। एसएसपी ने कहा, “अगर परिवार के पास नई जानकारी है, तो हम उसे जांच में शामिल करेंगे। फिलहाल सभी सबूत जुटाए जा रहे हैं।
“विवाद क्यों बढ़ा?
पुलिस का यह तर्क सुनकर उत्तर-पूर्व के संगठनों और कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैल गई। उनका कहना है कि मणिपुर या नेपाल से आने वाला हर व्यक्ति उत्तर-पूर्वी समुदाय का नहीं होता। नस्लीय गालियां अक्सर चेहरे-मोहरे देखकर दी जाती हैं। यह मामला अब सिर्फ एक हत्याकांड तक सीमित नहीं रहा। यह उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ बड़े शहरों में होने वाले भेदभाव की बड़ी तस्वीर उजागर कर रहा है। जांच अभी चल रही है। पांच आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि एक नेपाल भाग गया है।
