उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण नई दिल्ली की सर्किट बेंच 19 मई से 23 मई तक होगी आयोजित, अधिकरण ने जारी की अधिसूचना नैनीताल हाईकोर्ट में लगेगी कैट की सर्किट बेंच, उत्तराखंड के लंबित प्रकरणों की होगी सुनवाई – CAT CIRCUIT BENCH NAINITAL
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण नई दिल्ली की सर्किट बेंच 19 मई से 23 मई तक होगी आयोजित, अधिकरण ने जारी की अधिसूचना,
नई दिल्ली/नैनीताल: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) दिल्ली की सर्किट बेंच 19 मई से 23 मई 2025 तक नैनीताल में भौतिक रूप से आयोजित की जाएगी. इस संबंध में अधिकरण की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. सुनवाई के लिए गठित खंडपीठ में संजीव कुमार सदस्य (प्रशासनिक) और अजय प्रताप सिंह सदस्य (न्यायिक), प्रधान न्यायपीठ नई दिल्ली शामिल होंगे. यह सर्किट बेंच विशेष रूप से उत्तराखंड क्षेत्र के लंबित प्रकरणों की सुनवाई के लिए निर्धारित की गई है.
जानकारी के मुताबिक, यह निर्णय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अध्यक्ष की स्वीकृति से लिया गया है. कैट की ओर से जारी अधिसूचना में सभी संबंधित पक्षों को आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा गया है. इस सर्किट बेंच से उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं संबंधित विभागों को अपने वादों की सुनवाई जल्द कराने का मौका मिलेगा।इसी में कोर्ट ने एक नया नोटिफिकेशन भी जारी किया है. जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिकाओं की सुनवाई में पारदर्शिता एवं सुव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया है. मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार, यदि किसी आरोपी की पूर्व जमानत याचिका वापस ली गई हो या अभियोजन की अनुपस्थिति के कारण खारिज कर दी गई हो तो उसकी अगली जमानत याचिका रोस्टर के अनुसार सूचीबद्ध की जाएगी।कोर्ट का समय भी बचेगा और उचित न्याय प्रक्रिया भी आगे बढ़ेगी:उत्तराखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक की ओर से बीती 13 मई को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार यदि किसी आरोपी की पूर्व जमानत याचिका को वापस ले लिया गया हो या वो अभियोजन की अनुपस्थिति में खारिज हुई हो तो उसकी अगली जमानत याचिका रोस्टर के अनुसार ही सूचीबद्ध की जाएगी. इसी तरह यदि अग्रिम जमानत याचिका भी इन्हीं कारणों से निस्तारित हो चुकी हो तो अगली अग्रिम जमानत याचिका या नियमित जमानत याचिका रोस्टर के अनुसार सूचीबद्ध होगी. इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि न्यायालय का कीमती समय बचाया जाए और आरोपियों को दोबारा याचिका दाखिल करने की स्थिति में उचित प्रक्रिया के तहत न्याय मिल सके।
