उत्तराखंड डेली न्यूज:ब्योरो
हल्द्वानी में नगर निगम सीमा विस्तार के कारण 66 वर्षीय बुजुर्ग कन्हैया लाल का इलाका न ग्राम पंचायत में और न ही नगर निगम में दर्ज हो पाया है, जिसके चलते उन्हें स्थानीय निवासी का प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा और उनकी एकमात्र उम्मीद वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन एक साल से अटका हुआ है।भले ही दूसरे राज्यों से आने वाला व्यक्ति हल्द्वानी में आसानी से स्थाई निवास प्रमाण पत्र हासिल कर ले, लेकिन उत्तराखंड का एक बुजुर्ग अपनी नागरिक पहचान साबित करने को दफ्तरों की चौखटें घिस रहा है।66 वर्षीय कन्हैया लाल की यही विडंबना है, उनकी वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन जरूरी प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण अटका गया है। वजह भी हैरान करने वाली है, सरकारी उदासीनता के चलते वह इलाका, जहां कन्हैया का परिवार 1955 से बसा है, अब न ग्राम पंचायत में दर्ज है और न नगर निगम की सीमा में। हल्द्वानी नगर निगम परिसर में शुक्रवार सुबह बोर्ड बैठक की हलचल थी। सभागार के बाहर बरामदे में फर्श पर एक दुबले-पतले बुजुर्ग बैठे थे। पूछने पर नाम कन्हैया लाल बताया। कन्हैया के माथे पर चिंता और चेहरे पर उदासी थी। जुबां पर एक ही रटन थी कि कोई उन्हें मेयर से मिला दे। कन्हैया लाल ने थैले से एक कागज निकाला और कहने लगे- पार्षद या अधिकारी इसपर साइन करने को तैयार नहीं हैं। पिछले एक साल से वह नेताओं और अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। मजदूरी करने वाले कन्हैया अब उम्र के इस पड़ाव में काम करने में असमर्थ हैं। बुढ़ापा काटने के लिए वृद्धावस्था पेंशन ही उनकी एक उम्मीद है। सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी का कहना है कि पेंशन के सत्यापन के लिए तहसील में संपर्क कर सकते हैं। बुजुर्ग व्यक्ति की समस्या का समाधान निकालने की हर संभव कोशिश करेंगे।कहने को मूल निवासी पर न शहर, न गांव,कन्हैया लाल, उन लोगों में शामिल हैं, जो नगर निगम सीमा विस्तार का दंश झेल रहे हैं। दरअसल, बरेली रोड पर गौजाजाली बिचली पहले ग्राम पंचायत का हिस्सा था, जो 2018 में हल्द्वानी नगर में शामिल हुआ। इस कारण ग्राम पंचायत का अस्तित्व नहीं रहा, लेकिन एक हिस्सा नगर निगम के वार्ड में शामिल नहीं हो पाया। इसी छूटे हिस्से में कन्हैया समेत आठ-दस दलित परिवारों के घर हैं। कहने को भले ही वे उत्तराखंड के निवासी हैं, लेकिन कागजों में न तो शहर के निवासी और न गांव के।
पेंशन के लिए पार्षद का संस्तुति पत्र चाहिए
समाज कल्याण विभाग की पेंशन के आवेदन में स्थानीय पार्षद या प्रधान का संस्तुति पत्र जरूरी होती है। प्रमाणित करना होता है कि संबंधित व्यक्ति को वह जानते हैं। इसके बिना कन्हैया की वृद्धावस्था पेंशन नहीं लग पा रही है।
