उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
देहरादून नगर निगम ने जलभराव की समस्या से निपटने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग की योजना बनाई है. नगर आयुक्त नमामी बंसल ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में इस तकनीक को लागू किया जाएगा. सार्वजनिक भवनों और स्कूलों में इसे अनिवार्य करने पर विचार हो रहा है! नगर निगम ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग की योजना बनाई.
जलभराव वाले इलाकों में तकनीक लागू होगी.
सड़कों पर जलभराव से राहत मिलेगी.
देहरादून : हर साल मानसून आते ही देहरादून की सड़कों पर पानी का सैलाब आम बात हो गई है. तेज बारिश के कुछ ही मिनटों में नाले उफनने लगते हैं, गलियां तालाब बन जाती हैं और शहरवासी घंटों ट्रैफिक में फंसे रहते हैं. बारिश की यह खूबसूरत फुहारें जब परेशानी का सबब बन जाती हैं, तो शहर की व्यवस्थाओं पर (Dehradun Waterlogging) सवाल उठना लाजमी है. लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग नजर आएगी. देहरादून नगर निगम अब इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में है. नगर आयुक्त नमामी बंसल ने कहा कि जलभराव की पुरानी समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं!देहरादून नगर निगम ने पहले ही उन संवेदनशील इलाकों की पहचान कर ली है जहां हर बार बारिश के साथ जलभराव की स्थिति बनती है. इन इलाकों में विशेष योजना के तहत ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करने, जल निकासी को बेहतर बनाने और रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने की तैयारी की जा रही है. इसका मकसद सिर्फ पानी की निकासी नहीं, बल्कि बारिश के पानी का सही उपयोग कर भविष्य के जल संकट से निपटना भी है!बारिश के पानी को सहेजने की तकनीक रेनवाटर हार्वेस्टिंग (Rainwater Harvesting) यानी वर्षा जल संचयन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें छतों, खुले मैदानों और सड़कों पर गिरे बारिश के पानी को इकट्ठा कर एकत्रित किया जाता है. इस पानी को बाद में सिंचाई, घरेलू उपयोग या भूजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. यह न सिर्फ जल संकट से निपटने में कारगर है, बल्कि जलभराव की समस्या को भी काफी हद तक कम करता है. इस तकनीक के सहारे देहरादून नगर निगम सड़कों को जलभराव मुक्त बनाने की कोशिश कर रहा है.
