उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय में कथित अवैध नियुक्तियों पर जनहित याचिकाओं की सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने 2016 के बाद की नियुक्तियों की जांच और उन्हें निरस्त करने की मांग की। कोर्ट…नैनीताल, संवाददाता। उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में हुई कथित अवैध नियुक्तियों को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। याचिकाकर्ता अभिनव थापर और बैजनाथ की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि इस मामले में पूर्व में कई बार सुनवाई हो चुकी है, अतः मामले की शीघ्र सुनवाई आवश्यक है। हालांकि, कोर्ट के पास समय की सीमा के चलते अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तारीख तय की गई।मामले के अनुसार देहरादून निवासी अभिनव थापर ने विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से हुई नियुक्तियों, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड विधानसभा की ओर से 2016 के बाद की नियुक्तियों की जांच कर उन्हें निरस्त कर दिया गया, जबकि 2016 से पहले की नियुक्तियों की अनदेखी की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह घोटाला वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से लगातार चला आ रहा है, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। याचिका में मांग की गई है कि विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराई जाए। साथ ही जिन लोगों ने नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियां करवाईं, उनसे सरकारी धन की वसूली कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि वर्ष 2003 के शासनादेश में तदर्थ नियुक्तियों पर रोक स्पष्ट की गई है, ऐसे में यह पूरी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 187 का उल्लंघन करती है, जो हर नागरिक को समान अवसर और नियमानुसार सरकारी नौकरी पाने का अधिकार देती है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 की सेवा नियमावली और उत्तराखंड विधानसभा की 2011 की नियमावली का भी उल्लंघन किया गया है।
