उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
गणाई गंगोली (पिथौरागढ़)। विकास के दावों के बीच सीमांत जिले में आज भी ऐसे कई गांव हैं जहां के ग्रामीणों को सड़क, पेयजल, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। इन अव्यवस्थाओं से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए पलायन कर गांव छोड़ना ही एकमात्र विकल्प है।ऐसा ही गांव है गणाई गंगोली का पभ्या। कोई बीमार हो जाए या गर्भवती को अस्पताल पहुंचाना हो, इसके लिए सिर्फ डोली का ही सहारा है। बदहाल रास्तों के बीच तीन किमी की तीखी ढलान में मरीज और गर्भवतियों को डोली के सहारे मुख्य सड़क तक पहुंचाना ग्रामीणों की नियति बन गई है। ऊबड़ खाबड़ रास्ते से आने के बाद उन्हें 10 किमी दूर अस्पताल पहुंचने के लिए वाहन नसीब होता है। हर घर नल से जल पहुंचाने के दावों के बीच ग्रामीणों को पीने का पानी भी नहीं मिलता। 25 किमी दूर से 1988 में बनी पेयजल योजना जर्जर होने से आए दिन जलापूर्ति ठप हो जाती है।ऐसे में ग्रामीणों को तीन किलोमीटर दूर प्राकृतिक जल स्रोत से पानी ढोकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। इन बदहाल व्यवस्थाओं की मार सहते हुए ग्रामीणों का हौसला जवाब दे गया तो उन्होंने पलायन करना उचित समझा। एक दशक पूर्व तक गांव में 100 परिवार निवास करते थे। वर्तमान में सिर्फ 38 परिवार गांव में रह रहे हैं और 62 परिवारों ने पलायन कर लिया है। अब भी यहां पलायन जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि हालात यही रहे तो पलायन से गांव खाली होने में देर नहीं लगेगी। संवाद स्कूल बंद, बच्चों को पढ़ाने के लिए 13 किमी दूर किराये पर रहना मजबूरी पभ्या में विकास नहीं पहुंचा। कभी फसलों से लहलहाते खेत आज बंजर और आबाद घर वीरान हो गए हैं। गांव में सिर्फ वही परिवार रहे हैं जिनके लिए निर्धनता के चलते सड़क किनारे घर बनाना या किराये पर घर लेना कठिन है। गांव से पलायन हुआ तो प्राथमिक विद्यालय में छात्र संख्या घटने से इसमें पिछले साल ताले लग गए। अब गांव में रहे निर्धन परिवार अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए 13 किमी दूर गणाई गंगोली में किराये का कमरा लेने के लिए मजबूर हैं। आर्थिक तंगी के बीच वे किसी तरह बच्चों का पालन-पोषण करने के साथ उनकी पढ़ाई का खर्च वहन कर रहे हैं।
बीमार बुजुर्ग को डोली के सहारे पहुंचाया अस्पताल
बीते मंगलवार को गांव के बुजुर्ग 77 वर्षीय करम सिंह की तबीयत खराब हो गई। परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से उन्हें तीन किमी दूर डोली के सहारे मुख्य सड़क तक पहुंचाया। यहां से परिजन उन्हें वाहन से 10 किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र ले गए। तब जाकर उन्हें इलाज मिला और उनकी जान बच सकी।
चुनाव के बाद नहीं पहुंचता कोई जनप्रतिनिधि
पभ्या गांव की सुध लेने वाला प्रधान, बीडीसी सदस्य के अलावा कोई नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय गांव पहुंचते हैं। चुनाव निपटने के बाद आज तक कोई भी गांव में नजर नहीं आया। बताया कि सड़क न होने से बदहाल रास्ते पर आवाजाही करना मजबूरी बना है। पैदल रास्ता भी इतना खतरनाक है कि चट्टान से गिरकर अब तक दो लोग काल के गाल में समा चुके हैं।
कोट पभ्या के लिए सड़क स्वीकृत हो चुकी है। विभाग ने सर्वे भी कर लिया है। जल्द सड़क का निर्माण शुरू होगा।
