*~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक – 02 मार्च 2024*
*दिन – शनिवार*
*विक्रम संवत – 2080*
*शक संवत -1945*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत – 19 गते फाल्गुन मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 12 माघ मास*
*मास – फाल्गुन (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार माघ)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – षष्ठी सुबह 07:53 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र – विशाखा दोपहर 02:42 तक तत्पश्चात अनुराधा**
*योग – व्याघात शाम 06:07 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहुकाल – सुबह 09:37 से सुबह 11:03 तक*
*सूर्योदय- 06:42*
*सूर्यास्त- 18:17*
*दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण –
*विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)*
*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)*
*हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय*
*03 फरवरी 2024 रविवार को (सूर्योदय से सुबह 08:44 तक) रविवारी सप्तमी है।*
*रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-*
*”जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।”*
*नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि*
*सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।*
*इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।*
*(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याया (10)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*रविवार सप्तमी*
*रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |*
*रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |*
*सूर्य भगवान पूजन विधि*
*१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |*
*२) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |*
*सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र*
*1. ॐ मित्राय नमः।*
*2. ॐ रवये नमः।*
*3. ॐ सूर्याय नमः।*
*4. ॐ भानवे नमः।*
*5. ॐ खगाय नमः।*
*6. ॐ पूष्णे नमः।*
*7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।*
*8. ॐ मरीचये नमः।*
*9. ॐ आदित्याय नमः।*
*10. ॐ सवित्रे नमः।*
*11. ॐ अर्काय नमः।*
*12. ॐ भास्कराय नमः।*
*13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।*
*~ वैदिक पंचांग ~*