
*~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक – 23 मार्च 2024*
*दिन – शनिवार*
*विक्रम संवत – 2080*
*शक संवत -1945*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत – 10 गते फाल्गुन मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि -3 चैत्र मास*
*मास – फाल्गुन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – त्रयोदशी सुबह 07:17 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
*योग – शूल शाम 07:35 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहुकाल – सुबह 09:22 से सुबह 10:53 तक*
*सूर्योदय- 06:30*
*सूर्यास्त- 18:17*
*दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण –
*विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)*
*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)*
*हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*मंत्र – साफल्य दिवस : होली*
*होली के दिन किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है | यह साफल्य – दिवस है, घुमक्कड़ों की नाई भटकने का दिन नहीं है | मौन रहना, उपवास पर रहना, फलाहार करना और अपना-अपना गुरुमंत्र जपना |*
*इस दिन जिस निमित्त से भी जप करोंगे वह सिद्ध होगा | ईश्वर को पाने के लिए जप करना | नाम –जप की कमाई बढ़ा देना ताकि दुबारा माँ की कोख में उल्टा होकर न टंगना पड़े | पेशाब के रास्ते से बहकर नाली में गिरना न पड़े | होली के दिन लग जाना लाला- लालियाँ ! आरोग्य मंत की भी कुछ मालाएँ कर लेना |*
*अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात |*
*नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम ||*
*‘ हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषधि से तमाम रोग नष्ट हो जाते है, यह मैं सत्य कहता हूँ, सत्य कहता हूँ |’ (धन्वंतरि महाराज)*
*दोनों नथुनों से श्वास लेकर करीब सवा से डेढ़ मिनट तक रोकते हुए मन–ही–मन दुहराना –*
*नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||*
*फिर ५० से ६० सेकंड श्वास बाहर रोककर मंत्र दुहराना | इस दिन जप-ध्यान का फायदा उठाना, काम-धंधे तो होते रहेंगे | अपने-अपने कमरे में गोझरणमिश्रित पानी से पोछा लगाकर थोडा गंगाजल छिडक के बैठ जाना | हो सके तो इस दिन गोझरण मिला के स्नान कर लेना | लक्ष्मी स्थायी रखने की इच्छा रखनेवाले गाय का दही शरीर पर रगड़के स्नान कर लेना | लेकिन वास्तविक तत्त्व तो सदा स्थायी है, उसमें अपने ‘मैं’ को मिला दो बस, हो गया काम !*
*ब्रम्हचर्य-पालन में मदद के लिए “ॐ अर्यमायै नम:” मंत्र का जप बड़ा महत्त्वपूर्ण है |*