
*~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक – 25 मार्च 2024*
*दिन – सोमवार*
*विक्रम संवत – 2080*
*शक संवत -1945*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत – 12 गते चैत्र मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 5 फाल्गुन मास*
*मास – फाल्गुन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – पूर्णिमा दोपहर 12:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग – वृद्धि रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहुकाल – सुबह 07:50 से सुबह 09:21 तक*
*सूर्योदय -06:15*
*सूर्यास्त- 18:32*
*दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – फाल्गुनी पूर्णिमा,वसंत पूर्णिमा,होली धुलेंडी,धूलिवंदन,होलाष्टक,समाप्त,छाया चंद्रग्रहण भारत मे नही दिखेगा,नियम पालनीय नही है*
*विशेष – पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*केमिकल रंग छूटाने के लिए*
*यदि किसीने आप पर रासायनिक रंग लगा दिया हो तो तुरंत ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व् तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगे हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिए | यदि उबटन लगाने से पूर्व उस स्थान को नींबू से रगड़कर साफ़ कर लिया जाय तो रंग छूटने में और अधिक सुगमता होती है |*
*- पूज्य बापूजी (स्त्रोत :ऋषि प्रसाद मार्च 2005 )*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*होली टिप्स*
*होली के बाद खजूर नहीं खाना चाहिए, ये पचने में भारी होते है, इन दिनों में सर्दियों का जमा हुआ कफ पिघलता है और जठराग्नि कम करता है. इसलिए इन दिनों में हल्का भोजन करें, धाणी और चना खाएं, जिससे जमा हुआ कफ निकल जाये ।*
*इन दिनों में पलाश/केसुडे/गेंदे के फूलों के रंग से होली खेलने से शरीर के ७ धातु संतुलन में रहते हैं, इनसे होली खेलने से चमड़ी पर एक layer बन जाती है जो धूप की तीखी किरणों से रक्षा करती है।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*होली के बाद खान-पान में सावधानी*
*होली के बाद नीम की २० से २५ कोमल पते २-३ काली मिर्च के साथ खूब चबा-चबाकर खानी चाहिये । यह प्रयोग २०-२५ दिन करने से वर्ष भर चर्म रोग , रक्त विकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा होती है तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । इसके अलावा कड़वे नीम के फूलों का रस सप्ताह या १५ दिन तक पीने से भी त्वचा रोग व मलेरिया से बचाव होता है । सप्ताह भर या १५ दिन तक बिना नमक का भोजन करने से आयु और प्रसन्नता में बढ़ोतरी होती है।*