
*~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक – 10 अप्रैल 2024*
*दिन – बुधवार*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार – 2080)*
*शक संवत -1946*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत – 29 गते चैत्र मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 21 फाल्गुन मास*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – द्वितीया शाम 05:32 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – भरणी 11अप्रैल रात्रि 03:05 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*योग – विष्कंभ सुबह 10:38 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहुकाल – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:53 तक*
*सूर्योदय-05:56*
*सूर्यास्त- 18:42*
*दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – चेटीचंड,श्री झूलेलाल जयंती*
*विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*चैत्र मास के नवरात्रि का आरंभ 09 अप्रैल, मंगलवार से हो गया है। मान्यता है कि नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं-*
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*नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं ।इससे उम्र लंबी होती है ।*
शेष कल…………
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 09 अप्रैल, मंगलवार से हो गया है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। जानिए नवरात्रि में किस दिन देवी के कौन से स्वरूप की पूजा करें-*
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*तप की शक्ति का प्रतीक है मां ब्रह्मचारिणी*
*नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।*
*मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योगशास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।*
शेष कल………..
*~ वैदिक पंचांग ~*