*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 26 मई 2024*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️अमांत – 13 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️राष्ट्रीय तिथि – 4 वैशाख मास*
*⛅मास – जयेष्ठ*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – तृतीया शाम 06:06 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – मूल प्रातः 10:36 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग- साध्य प्रातः 08:31 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल – शाम 05:23से शाम 07:06 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:19*
*⛅सूर्यास्त – 07:11*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 27 से रात्रि 12:58 मई 27 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – एकदंत संकष्ट चतुर्थी*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुवृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸संकष्ट चतुर्थी – 25 मई 2024🔸*
*🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?*
*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*
*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*
*🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸*
*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।*
*👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।*
*👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।*
*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।*
*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।*
*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।*
*👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।*
*👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।*
*👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।*
*👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।*
*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।*
*उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।*
*👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।*
*👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।*
*👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।*