उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
नगर निगम व नगर पालिका, मसूरी एवं एमडीडीए द्वारा कल रिस्पना नदी के किनारे बसे घरों को बुल्डोजर चलाकर तोडा जाना गलत है मलीन बस्तियों के लोगों को कई वर्षों से भाजपा और कांग्रेस के नगर निगम बोर्डों द्वारा विनियमितिकरण के नाम पर लगातार बेवकूफ बनाया जा रहा है यदि विनियमतिकरण पर ईमानदारी से बोर्डों द्वारा काम होता तो आज ये गरीब लोग अपने खून पसीने की कमाई से बनाये गये घरों से बेघर ना होते। उत्तराखण्ड क्रांति दल लगातार मलीन बस्तीयों के विनियमतिकरण करने के लिए लगातार संघर्षरत रहा है।
आज 2016 के बाद बसे मकानों को उजड़ा जा रहा है और बकाया मकानों पर भी नगर निगम व एमडीडीए लगातार तोडने के लिए प्रयासरत है। जनहित में उसे तुरन्त रोका जाना आवश्यक है। लम्बे समय से कुछ नेता मलिन वस्तियों के नाम से लोगों पर राज कर रहे है और आज जब यह कष्ट में है तो शब्द भी उनके मूँह से नहीं निकल रहा है। यदि 2016 से पूर्व का मकान अवैध था तो उन्हे नगर पालिकाओं व निगमों ने उन बस्तियों में मूलभूत सुविधाएं, पानी, बिजली, मार्ग, नाली सफाई आदि की व्यवस्थाएं क्यों दी, उसकी जांच होना आवश्यक है। दूसरी ओर वोट की खातिर किन नेताओं ने उन्हे बसाया और जिन कर्मचारियों ने नेताओं के कहने पर पैसे का लेन-देन कर उन्हें बसाने में सहयोग किया इसकी जांच कर दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए, उत्तराखण्ड क्रांति दल मांग करता है कि मलिन बस्तियों को तोडने से पहले दुसरी जगह विस्थापित किया जाए।