
, *~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक – 13 जून 2024*
*दिन – गुरूवार*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
*शक संवत -1946*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
*अमांत – 31 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 22 वैशाख मास*
*मास – ज्येष्ठ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – सप्तमी रात्रि 09:33 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी 14 जून प्रातः 04:08 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग – वज्र शाम 06:06 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*राहुकाल – दोपहर 02:01 से शाम 03:46 तक*
*सूर्योदय- 05:15*
*सूर्यास्त- 19:18*
*दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण –
*विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*व्यतिपात योग*
*व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
*वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
*व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*
*विशेष ~ व्यतिपात योग – 14 जून 2024 शुक्रवार को रात्रि 07:08 से 15 जून 2024 शनिवार को रात्रि 08:11 तक व्यतिपात योग है।*
~ *वैदिक पंचांग* ~
*मस्तिष्क प्रदाह*
*जौ का आटा पानी में घोलकर मस्तक पर लेप करने से मस्तिष्क की पित्तजनित पीड़ा शांत होती है l*