उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
जब थी मैं कुछ महीनों की, सुकुमार होती पंखुडियों-सी,
तब वह मुझे संभालती थी, मुझे प्रेम की कथा सुनाती थी ।
रातों को वे न सोती थी, हर पल जब भी मैं रोती थी,
थक जाती थी, होती परेशान, पर कभी कम नहीं पड़ा उसका प्यार ।
नहलाती थी, खिलाती थी, सुलाती थी, हँसाती थी,
रात्रि के तमस में वह प्रकाश लेकर आती थी,
उसके परिश्रम का है मुझ पर उधार, कि लाई मुझ में वह कितना सुधार ।
उसकी डॉट भी बहुत सुहानी है,
कि लाई मुझ में वह कितना सुधार ।
उसकी डॉट भी बहुत सुहानी है, मैंने हर बात उसकी मानी है,
वो आज भी मेरे साथ है, मेरे सर पर उसका हाथ है।
किए हैं मेरे लिए उन्होंने अनगिनत बलिदान,
आखिर कैसे न करूँ में उनका सम्मान ?
अग्रणी डंग
कक्षा-9
ऑल सेन्ट्स कालेज ।