देहरादून। राज्य की बेसिक शिक्षक भर्ती में बड़ी संख्या में यूपी से डीएलएड करने वाले अभ्यर्थी भी शामिल हो गए हैं, उधमसिंह नगर, बागेश्वर समेत कुछ जिलों की मेरिट लिस्ट में जारी होने से इसका खुलासा हुआ है। राज्य के डायट से डीएलएड करने वाले अभ्यर्थियों ने भर्ती में घपले की आशंका जताते हुए सरकार से मेरिट लिस्ट की बारीकी से जांच कराते हुए अपात्र अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त करने की मांग की है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सूची में हर जिले से लगभग 400 से 500 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश से डीएलएड किया हुआ है। परंतु उत्तर प्रदेश से डीएलएड करने हेतु वहां का स्थाई निवासी होना जरूरी है, और उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षक भर्ती समूह ग की भर्ती है जिसमे आवेदन करने हेतु उत्तराखंड का स्थाई निवासी होना जरूरी है। ऐसे में यह बात निकल कर आती है कि एक व्यक्ति डीएलएड करने के लिए उत्तर प्रदेश का स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाया हुआ है। दूसरी ओर उसी व्यक्ति ने उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षक भर्ती हेतु उत्तराखंड का स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाया हुआ है। एक व्यक्ति दो प्रमाण पत्र कैसे बना सकता है और विभाग ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
कुछ दिनों पूर्व नर्सिंग अधिकारी भर्ती में भी फर्जी स्थाई और जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कुछ लोगों को विभाग में नियुक्ति दे दी थी जब जांच में सामने आया तो उनके प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इसके अलावा जल निगम में इंजीनियरिंग संवर्ग के अधिकारियों पर फर्जी स्थाई और जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कार्रवाई की गई। उत्तराखंड में ग्रुप C की भर्तियों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा सेंधमारी जारी है। इसका मुख्य कारण प्रमाण पत्र जारी करते समय अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी भी है।
डायट डीएलड प्रशिक्षित संगठन के मीडिया प्रभारी विजय बताते हैं कि यूपी में डीएलएड केवल यूपी का स्थायी निवासी ही कर सकता है। जो व्यक्ति यूपी से डीएलएड किया है, वो यूपी का स्थायी निवासी होगा, और, उत्तराखंड में बेसिक शिक्षक भती में वहीं शामिल हो सकता है, जो उत्तराखंड का स्थायी निवासी हो, साथ ही सेवायोजन कार्यालय में उसका नाम भी दर्ज होना चाहिए। ऐसे में यूपी से डीएलएड करने वाले भला कैसे उत्तराखंड में आवेदन कर रहे हैं? ऐसा भी हो सकता है कि उन्होंने दो दो स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवा लिए हों। एक यूपी में डीएलएड कर लिया और दूसरे से उत्तराखंड में नौकरी के लिए दावा। यदि ऐसा है तो यह अपराध की श्रेणी में है। जो लोग पात्र नहीं हैं, उनके आवेदन तत्काल निरस्त किए जाने चाहिए।
वहीं डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी का कहना है कि बेसिक शिक्षक भर्ती योग्यता पूरी करने वाले अभ्यर्थियों का ही चयन किया जाएगा। पूर्व में फर्जी दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति पाने वाले कई शिक्षकों को विभाग ने बर्खास्त भी किया है। यदि कोई गलत दस्तावेजों का उपयोग करने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।