उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का पर्व 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन सावन का अंतिम सोमवार और पूर्णिमा तिथि का व्रत भी किया जाएगा। रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल विशेष तौर पर देखा जाता है लेकिन इस बार बिना भद्रा के डर के राखी किसी भी समय बांध सकेंगे। आइए जानते इसकी क्या है वजह…
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षा बंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता है, इस बार यह शुभ तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को है। रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है। इस दिन बहनें पूजा अर्चना करके भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं और उनके स्वस्थ व सफल जीवन की कामनाकरती हैं। वहीं भाई बहनों की रक्षा और हर परिस्थिति में मदद के लिए तैयार रहने का वचन देते हैं। लेकिन इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया भी रहने वाला है और भद्रा के समय राखी बांधना बहुत अशुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा इस बार पाताल लोक में रहने वाली है इसलिए आप 19 अगस्त को आराम से राखी बांध सकते हैं।
भद्रा कब से कब तक
पंचाग के अनुसार, भद्रा 18 अगस्त की अर्धरात्रि में 2 बजकर 21 मिनट से लग जाएगी। यह दूसरे दिन यानी 19 तारीख (रक्षाबंधन वाले दिन) को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उन्होंने बताया कि इस समयावधि के बाद ही राखी बांधना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
सावन पूर्णिमा तिथि
सावन पूर्णिमा की शुरुआत 19 अगस्त को 3 बजकर 5 मिनट से होगी और रात 11 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि को मानते हुए रक्षा बंधन का पर्व 19 अगस्त को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा और पूर्णिमा तिथि का व्रत भी इसी दिन होगा।
पाताल लोक में रहेगी भद्रा
मकर राशि में चंद्रमा होने की वजह से भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी, इसलिए रक्षा बंधन वाले दिन भद्रा दोष भी नहीं लगेगा। स्वर्ग लोक और पाताल लोक निवासरत भद्रा विशेष अशुभ नहीं होती है। कुछ ज्योतिषाचार्यों ने भद्रा के अंतिम तीन घटी को भद्रा का पुच्छ मानकर उसको शुभ बताया है। भद्रा के पुच्छ भाग को छोड़कर शेष भाग भद्रा को अशुभ माना गया है।