*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 30 अगस्त 2024*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌦️ अमांत – 15 गते भाद्रपद मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 8 श्रावण मास*
*⛅मास – भाद्रपद*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – द्वादशी रात्रि 02:25 अगस्त 31 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र – पुनर्वसु शाम 05:56 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग – व्यतिपात शाम 05:47 तक तत्पश्चात वरीयान*
*⛅राहु काल – प्रातः 10:42 से दोपहर 12:17 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:53*
*⛅सूर्यास्त – 06:42*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:15 से 01:05 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:17 अगस्त 31 से रात्रि 01:03 अगस्त 31 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थ सिद्धि योग व व्यतिपात योग में किये गए जप, ध्यान, दान, पुण्यकर्म का फल एक लाख गुना होता है।*
*⛅विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🫕आहार-सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियम🫕*
*🔹१- सदैव अपने कार्यके अनुसार आहार लेना चाहिये । यदि आपको कठोर शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है तो अधिक पौष्टिक आहार लेवें । यदि आप हलका शारीरिक परिश्रम करते हैं तो हलका सुपाच्य आहार लेवें ।*
*🔷२- प्रतिदिन निश्चित समयपर ही भोजन करना चाहिये ।*
*🔷३- भोजनको मुँहमें डालते ही निगले नहीं, बल्कि खूब चबाकर खायें, इससे भोजन शीघ्र पचता है ।*
*🔷४- भोजन करनेमें शीघ्रता न करें और न ही बातोंमें व्यस्त रहें ।*
*🔷५- अधिक मिर्च-मसालोंसे युक्त तथा चटपटे और तले हुए खाद्य पदार्थ न खायें। इससे पाचन-तन्त्रके रोगविकार उत्पन्न होते हैं ।*
*🔷६- आहार ग्रहण करनेके पश्चात् कुछ देर आराम अवश्य करें ।*
*🔷 ७- भोजनके मध्य अथवा तुरंत बाद पानी न पीयें । उचित तो यही है कि भोजन करनेके कुछ देर बाद पानी पिया जाय, किंतु यदि आवश्यक हो तो खानेके बाद बहुत कम मात्रामें पानी पी लेवें और इसके बाद कुछ देर ठहरकर ही पानी पीयें ।*
*🔷 ८- ध्यान रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत गरम या बहुत ठंडा न खायें और न ही गरम खानेके साथ या बादमें ठंडा पानी पीयें ।*
*🔷 ९- आहार लेते समय अपना मन-मस्तिष्क चिन्तामुक्त रखें ।*
*🔷 १०- भोजनके बाद पाचक चूर्ण या ऐसा ही कोई भी अन्य औषध-पदार्थ सेवन करनेकी आदत कभी न डालें । इससे पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है ।*
*🔷 ११- रात्रिको सोते समय यदि सम्भव हो तो गरम ( गुनगुना ) दूधका सेवन करें ।*
*🔷 १२- भोजनोपरान्त यदि फलोंका सेवन किया जाय तो यह न केवल शक्तिवर्द्धक होता है, बल्कि इससे भोजन शीघ्र पच भी जाता है ।*
*🔷 १३- जितनी भूख हो, उतना ही भोजन करें। स्वादिष्ठ पकवान अधिक मात्रामें खानेका लालच अन्ततः अहितकर होता है ।*
*🔷 १४- रात्रिके समय दही या लस्सीका सेवन न करें ।*
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