*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 24 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌥️ अमांत – 9 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 3 आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – सप्तमी दोपहर 12:38 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र – मृगशिरा रात्रि 09:54 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग – व्यतिपात रात्रि 01:27 सितम्बर 25 तक तत्पश्चात वरीयान*
*⛅राहु काल – दोपहर 03:08 से शाम 04:37 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:02*
*⛅सूर्यास्त – 06:12*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:41 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:07 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 सितम्बर 25 से रात्रि 12:55 सितम्बर 25 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – सप्तमी श्राद्ध, महालक्ष्मी व्रत पूर्ण, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, द्विपुष्कर योग (प्रातः 06:29 से दोपहर 12:38 तक)*
*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹तिल के तेल के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है ।*
*🔸२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*
*🔸३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*
*🔸४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*
*🔸५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔸६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*
*🔸७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*
*🔹चार बातों को याद रखो🔹*
*🔸१] ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों व ज्ञानवृद्ध बड़े-बुजुर्गों का आदर करना ।*
*🔸२] छोटों की रक्षा करना और उन पर स्नेह करना ।*
*🔸३] सत्संगी बुद्धिमानों से सलाह लेना और*
*🔸४] मूर्खों के साथ नहीं उलझना ।*
*🔹नम्रता के तीन लक्षण🔹*
*🔸१] कडवी बात का मीठा जवाब देना ।*
*🔸२] क्रोध के अवसर पर भी चुप्पी साधना और*
*🔸३] किसीको दंड देना ही पड़े तो उस समय चित्त को कोमल रखना ।*
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