*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 04 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 17 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 2 आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – द्वितीया प्रातः 05:30 अक्टूबर 05 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र – चित्रा शाम 06:38 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग – वैधृति प्रातः 05:22 अक्टूबर 05 तक तत्पश्चात विषकम्भ*
*⛅राहु काल – प्रातः 10:38 से दोपहर 12:05 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:13*
*⛅सूर्यास्त – 05:59*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:55 से 05:44 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से दोपहर 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 अक्टूबर 05 से रात्रि 12:53 अक्टूबर 05 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – द्वितीय नवरात्रि*
*⛅विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*📯 शारदीय नवरात्रि 3 से 11 अक्टूबर*
*🔸 श्रीमद् देवी भागवत’ के तीसरे स्कंध में महर्षि वेदव्यासजी जनमेजय को नवरात्रि का महात्म्य बताते हुए कहते हैं :*
*🔸 6-6 मास में नवरात्रि आती है । शारदीय नवरात्र रावण-वध की तिथि के पहले आते हैं और दूसरे नवरात्र आते हैं वसंत ऋतु में राम जी के प्राकट्य के पहले । ये दोनों ऋतुएँ बड़ी क्रूर हैं । ये रोग उत्पन्न करने वाली हैं । इन दिनों में व्यक्ति अगर नवरात्रि का व्रत और उपवास नहीं करता तो वह आगे चल के बड़ी-बड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है अथवा अभी भी बीमारियों में वह भुन जायेगा ।*
*🔸 अगर नवरात्रि व्रत रखता है, भगवती की आराधना करता है तो आराधना की पुण्याई व प्रसन्नता से मनोरथ भी पूरे होते हैं और शरीर में जो विजातीय द्रव्य हैं, उपवास और विश्रांति उन रोगकारक द्रव्यों को भस्म कर देती है ।*
*🔸 नवरात्रि के उपवास से शरीर के जीर्ण-शीर्ण रोग और रोग लाने वाले कण ये सब नष्ट हो जाते हैं, पाप दूर होते हैं, मन प्रसन्न होता है, बुद्धि का औदार्य व तितिक्षा का गुण बढ़ता है और नारकीय योनियों से छुटकारा मिलता है ।*
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