
*~ हिन्दू पंचांग ~
*

*दिनांक – 24 नवम्बर 2024*
*दिन – रविवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – हेमन्त*
* अमांत – 8 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 3 मार्गशीर्ष मास*
*मास – मार्गशीर्ष*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – नवमी रात्रि 10:19 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 10:16 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग – वैधृति दोपहर 12:18 तक तत्पश्चात विषकम्भ*
*राहु काल – शाम 03:56 से शाम 05:13 तक*
*सूर्योदय – 06:50*
*सूर्यास्त – 05:18*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:15 से 06:07 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:05 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 25 से रात्रि 12:53 नवम्बर 25 तक*
*व्रत पर्व विवरण – गुरु तेग बहादुरजी शहीदी दिवस, सर्वार्थसिद्धि योग (रात्रि 10:16 नवम्बर 24 से प्रातः 07:00 नवम्बर 25 तक)*
*विशेष – नवमी को लौकी खाना गौमाँस के समान त्याज्य है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*शास्त्रीय, वैज्ञानिक भारतीय व्यवस्था का एक प्रमाण : गोबर-लेपन*
*देशी गाय का गोबर शुद्धिकारक, पवित्र व मंगलकारी है । यह दुर्गंधनाशक एवं सात्त्विकता व कांति वर्धक है । भारत में अनादि काल से गौ-गोबर का लेपन यज्ञ-मंडप, मंदिर आदि धार्मिक स्थलों पर तथा घरों में भी किया जाता रहा है ।*
*भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*सभा प्रपा गृहाश्चापि देवतायतनानि च ।*
*शुध्यन्ति शकृता यासां किं भूतमधिकं तत: ।।*
*‘जिनके गोबर से लीपने पर सभा-भवन, पौसले (प्याउएँ), घर और देव-मंदिर भी शुद्ध हो जाते हैं, उन गौओं से बढ़कर पवित्र और कौन प्राणी हो सकता है ?’ (महाभारत, आश्वमेधिक पर्व)*
*मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाने का रहस्य !*
*मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाये जाने की परम्परा हमारे भारतीय समाज में आपने-हमने देखी ही होगी । क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण हैं ?*
*गरुड़ पुराण के अनुसार ‘गोबर से बिना लिपी हुई भूमि पर सुलाये गये मरणासन्न व्यक्ति में यक्ष, पिशाच एवं राक्षस कोटि के क्रूरकर्मी दुष्ट प्रविष्ट हो जाते हैं ।’*
*वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों का निष्कर्ष भी इस भारतीय परम्परा को स्वीकार करता है । अनुसंधानों के अनुसार गोबर में फॉस्फोरस पाया जाता है, जो अनेक संक्रामक रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है । मृत शरीर में कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु होते हैं । अत: उसके पास उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य-संरक्षण हेतु भूमि पर गोबर-लेपन करना अनिवार्य माना गया है ।*
*हानिकारक विकिरणों से रक्षा का उपाय :*
*वर्तमान समय में वातावरण में हानिकारक विकिरण (radiations) फेंकनेवाले उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है । इन विकिरणों तथा आणविक प्रकल्पों व कारखानों एवं परमाणु हथियारों के प्रयोग से निकलनेवाले विकिरणों से सुरक्षित रहने का सहज व सरल उपाय भारतीय ऋषि-परम्परा के अंतर्गत चलनेवाली सामाजिक व्यवस्था में हर किसीको देखने को मिल सकता है ।*
*इस बात को स्पष्ट करते हुए डॉ. उत्तम माहेश्वरी कहते हैं : “घर की बाहरी दीवार पर गोबर की मोटी पर्त का लेपन किया जाय तो वह पर्त हानिकारक विकिरणों को सोख लेती है, जिससे लोगों का शरीरिक-मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है ”*
*भारतीय सामजिक व्यवस्था संतो-महापुरुषों के सिद्धांतों के अनुसार स्थापित व प्रचलित होने से इसके हर एक क्रियाकलाप के पीछे सूक्ष्मातिसूक्ष्म रहस्य व उन महापुरुषों की व्यापक हित की भावना छुपी रहती है । विज्ञान तो उनकी सत्यता और महत्ता बाद में व धीमे-धीमे सिद्ध करता जायेगा और पूरी तो कभी जान ही नहीं पायेगा । इसलिए हमारे सूक्ष्मद्रष्टा, दिव्यद्रष्टा महापुरुषों के वचनों पर, उनके रचित शास्त्रों-संहिताओं पर श्रद्धा करके स्वयं उनका अनुभव करना, लाभ उठाना ही हितकारी है ।*