
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 06 दिसम्बर 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – हेमन्त*
* अमांत – 21 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 14 मार्गशीर्ष मास*
*मास – मार्गशीर्ष*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – पञ्चमी दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र – श्रवण शाम 05:18 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग – ध्रुव दोपहर 10:43 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल – प्रातः 10:52 से दोपहर 12:08 तक*
*सूर्योदय – 06:59*
*सूर्यास्त – 05:17*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 07 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 07 तक*
* व्रत पर्व विवरण – विवाह पञ्चमी, सुब्रहमन्य षष्ठी, स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:07 से शाम 05 :18 तक)*
*विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ….*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें*
*बुखार दूर करने हेतु
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*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
* ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*
*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*