उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
पुरानी दिल्ली में चांदनी चौक के बल्लीमारान में स्थित हवेली मिर्जा गालिब को एक हकीम ने तोहफे में दी थी और गालिब ने अपनी ज़िंदगी के आखिरी पल इसी हवेली में गुज़ारे थे। कहा जाता है कि हकीम, गालिब की शायरी के बहुत बड़े प्रशंसक थे। इसी हवेली में रहते हुए गालिब ने उर्दू और फारसी के दीवान (दीवान-ए-गालिब) लिखे।