*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 26 जनवरी 2025*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*🌥️अमांत – 13 गते माघ मास प्रविष्टि*
*🌥️राष्ट्रीय तिथि – 5 माघ मास*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – द्वादशी रात्रि 08:54 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र – ज्येष्ठा प्रातः 08:26 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग – व्याघात प्रातः 03:34 जनवरी 27 तक, तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल – शाम 04:26 से शाम 05:45 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:11*
*⛅सूर्यास्त – 05:48*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:29 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:30 से दोपहर 01:14 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:26 जनवरी 27 से रात्रि 01:18 जनवरी 27 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – गणतंत्र दिवस, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 08:26 से प्रातः 07:21 जनवरी 27 तक)*
*⛅विशेष – द्वादशी को पूतिका (पाई) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 सर्दियों में गोमूत्र-सेवन 🔹*
*🔸 शरीर की पुष्टि के साथ शुद्धि भी आवश्यक है । गोमूत्र शरीर के सूक्ष्म-अतिसूक्ष्म स्रोतों में स्थित विकृत दोष व मल को मल-मूत्रादि के द्वारा बाहर निकाल देता है । इसमें स्थित कार्बोलिक एसिड कीटाणुओं व हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है । इससे रोगों का समूल उच्चाटन करने में सहायता मिलती है । गोमूत्र में निहित स्वर्णक्षार रसायन का कार्य करते हैं । अतः गोमूत्र के द्वारा शरीर की शुद्धि व पुष्टि दोनों कार्य पूर्ण होते हैं ।*
*🔸 कफ के रोग (जैसे सर्दी खांसी आदि)वायु के रोग, पेट के रोग, गैस, अग्निमान्ध, गठिया, घुटने का दर्द, पीलिया लीवर के रोग, प्लीहा के रोग, बहुमूत्रता, शोथ, जोड़ों का दर्द, बच्चों के रोग, कान के रोग, सर में रुसी, सिरदर्द आदि में उपयोगी ।*
*🔹सेवन विधिः🔹*
*🔸 प्रातः 25 से 40 मि.ली. (बच्चों को 10-15 मि.ली.) गोमूत्र कपड़े से सात बार छानकर पियें । इसके बाद 2-3 घंटे तक कुछ न लें । ताम्रवर्णी गाय अथवा बछड़ी के मूत्र सर्वोत्तम माना गया है ।*
*🔹विशेष : सुबह गोमूत्र में 10-15 मि.ली. गिलोय का रस (अथवा 2-3 ग्राम चूर्ण) मिलाकर पीना उत्कृष्ट रसायन है ।*
*🔸ताजा गोमूत्र न मिलने पर गोझरण अर्क का प्रयोग करें । 10-20 मि.ली. (बच्चों को 5-10 मि.ली.) गोझरण अर्क पानी में मिलाकर लें ।*
*🔹 रविवार विशेष🔹*
*🔸 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸 रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔸 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔸 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔸 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔸 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
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