
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 31 जनवरी 2025*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर*
*अमांत – 18 गते माघ मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 10 माघ मास*
*मास – माघ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – द्वितीया दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – शतभिषा प्रातः 04:14 फरवरी 01 तक, तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*योग – वरियान दोपहर 03:33 तक, तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल – प्रातः 11:11 से दोपहर 12:30 तक*
*सूर्योदय – 07:08*
*सूर्यास्त – 05:52*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:28 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:31 से दोपहर 01:15 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 फरवरी 01 से रात्रि 01:19 फरवरी 01 तक*
*विशेष – द्वितीया को बृहती (कटहरी, छोटा बैंगन) खाना निषिद्ध है व तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*घर में बरकत व समृद्धि के अचूक उपाय
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*घर की साफ-सफाई सुबह करनी चाहिए । रात को घर में झाडू लगाने से लक्ष्मी की बरकत क्षीण हो जाती है । इसलिए गृहस्थियों को रात्रि को झाड़ू नहीं लगानी चाहिए ।*
*भोजन में से गाय, पक्षियों, जीव-जंतुओं का थोड़ा हिस्सा रखनेवाले के धन-धान्य में बरकत रहती है ।*
*घर से निकलें खा के बाहर मिले पका के कभी यात्रा में जायें या किसीसे मिलने जायें तो भूखे या निराहार होकर नहीं मिलें । कुछ खा-पीकर जायें, तृप्त हो के जायें तो मिलने पर भाव में तृप्ति आयेगी ।*
*कहीं यात्रा में जाने में घर से विदाई के समय थोड़ा-सा दही या मट्ठा लेना गृहस्थियों के लिए शुभ माना जाता है ।*
*अंत्येष्टि संस्कार क्यों ?*
*देहत्याग के समय क्या करें और क्यों ?
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*व्यक्ति अंतिम श्वास ले रहा होता है तो उस आतुर काल में भूमि को गाय के गोबर से लेपन करके शुद्ध करें और जल-रेखा से मंडल (घेरा) बनायें । फिर उस भूमि पर दक्षिणाग्र कुश (नुकीला अग्रभाग दक्षिण की ओर किये हुए कुश) तथा तिल को बिछा दें ।*
*मरणासन्न व्यक्ति को उस पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर सिर करके सीधा लिटा दें ।*
*सिर पर तुलसी का पत्ता रखें । उस व्यक्ति के मुँह में बीच-बीच में तुलसी दल डला हुआ गंगाजल डालते रहें । ऐसा करने से वह पापमुक्त हो जाता है ।*
*घी का दीपक जला दें । मरणासन्न व्यक्ति के दोनों हाथों में कुशा रखें । ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें ।*
*मरणासन्न व्यक्ति से उसकी सद्गति के लिए तिल, नमक, गाय आदि का दान करा दें । आतुर काल में लवण (नमक) दान करने से जीव की दुर्गति नहीं होती ।*