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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
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*⛅दिनांक – 07 फरवरी 2025*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*🌥️अमांत – 25 गते माघ मास प्रविष्टि*
*🌥️राष्ट्रीय तिथि – 18 माघ मास*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – दशमी रात्रि 09:26 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र – रोहिणी शाम 06:40 तक, तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग – इंद्र शाम 04:17 तक, तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल – सुबह 11:10 से दोपहर 12:31 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:03*
*⛅सूर्यास्त – 05:59*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:35 से 06:26 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:31 से दोपहर 01:16 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 फरवरी 08 से रात्रि 01:19 फरवरी 08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – रोहिणी व्रत*
*⛅विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹मानसिक रोग एवं चिकित्सा🔹*
*🔸आज के अशांति एवं कोलाहल भरे वातावरण में दिन-प्रतिदिन मनुष्य का जीवन तनाव, चिंता एवं परेशानियों से ग्रस्त होता जा रहा है । इसी वजह से वह थोड़ी-थोड़ी बात पर चिढ़ने-कुढ़ने लगता है एवं क्रोधित हो जाता है । यहाँ क्रोध, अनिद्रा एवं अतिनिद्रा पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ उपचार दिये जा रहे हैं :-*
*🔸क्रोध की अधिकता में 🔸*
*एक नग आँवले का मुरब्बा प्रतिदिन प्रातःकाल खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दूध पी लें । इससे क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी ।*
*🔸सहायक उपचार🔸*
*(१) भोजन २० से २५ मिनट तक चबा- चबाकर शांति से खायें ।*
*(२) क्रोध आए उस वक्त अपना विकृत चेहरा आइने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जाएगा ।*
*(३) ‘ॐ शांति… शांति… शांति… ॐ…. एक कटोरी में जल लेकर उस जल में देखकर इस मंत्र का २१ बार जप करके और बाद में वही जल पी लेने से क्रोधी स्वभाव में बदलाहट आएगी ।*
*🔹14 फरवरी : मातृ-पितृ पूजन दिवस क्यों ?🔹*
*🔸माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती । इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही !*
*🔸१४ फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते है। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है । उस दिन ‘मातृ-पितृ पूजन’ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा ।*