
*~ आज का हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 15 मार्च 2025*
*दिन – शनिवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – बसन्त*
*अमांत – 2 गते चैत्र मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 24 फाल्गुन मास*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – प्रतिपदा दोपहर 02:33 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी सुबह 08:54 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग- गण्ड दोपहर 02:00 तक तत्पश्चात् वृद्धि*
*राहुकाल – सुबह 09:28 से सुबह 10:57 तक*
*सूर्योदय – 06:28*
*सूर्यास्त – 06:24*
*दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:12 से प्रातः 06:00 तक,*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:25 से दोपहर 1:13 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 मार्च 16 से रात्रि 01:12 मार्च 16 तक*
* विशेष- प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा ) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला होता है व द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*औषधीय गुणों से भरपूरः ब्रह्मवृक्ष पलाश
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*जिसकी समिधा यज्ञ में प्रयुक्त होती है, ऐसे हिन्दू धर्म में पवित्र माने गये पलाश वृक्ष को आयुर्वेद ने ‘ब्रह्मवृक्ष’ नाम से गौरवान्विति किया है । पलाश के पाँचों अंग (पत्ते, फूल, फल, छाल, व मूल) औषधीय गुणों से सम्पन्न हैं। यह रसायन (वार्धक्य एवं रोगों को दूर रखने वाला), नेत्रज्योति बढ़ाने वाला व बुद्धिवर्धक भी है ।*
*इसके पत्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी के पात्र में किये गये भोजन के समान लाभ प्राप्त होते हैं । इसके पुष्प मधुर व शीतल हैं । उनके उपयोग से पित्तजन्य रोग शांत हो जाते हैं ।*
*पलाश के बीज उत्तम कृमिनाशक व कुष्ठ (त्वचारोग) दूर करने वाले हैं । इसका गोंद हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसकी जड़ अनेक नेत्ररोगों में लाभदायी है ।*
*पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिलाकर धूप करने से बुद्धि शुद्ध होती है व बढ़ती भी है । वसंत ऋतु में पलाश लाल फूलों से लद जाता है । इन फूलों को पानी में उबालकर केसरी रंग बनायें। यह रंग पानी में मिलाकर स्नान करने से आने वाली ग्रीष्म ऋतु की तपन से रक्षा होती है, कई प्रकार के चर्मरोग भी दूर होते हैं ।*
*पलाश के फूलों द्वारा उपचार : महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें । अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है ।*
*प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकारों) में पलाश के फूलों का काढ़ा (50 मि.ली.) मिलाकर पिलायें ।*
*रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है ।*
*आँख आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजें ।*