
उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
असल में जिस कपल की बात यहां पर हो रही है, वो खुद को किसी एक जेंडर से रिलेट नहीं करते हैं, वे खुद को नॉन बाइनरी मानते हैं। ऐसे में पहले से ही समाज के कई सवालों का सामना उन्हें करना पड़ता है, लेकिन अब यूसीसी की नई गाइडलाइन्स की वजह से स्थिति और जटिल हुई है।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो चुका है। लेकिन हर कोई इस यूसीसी से खुश नहीं है, हर कोई इसकी गाइडलाइन से सहज नजर नहीं आ रहा है। ऐसा ही हाल एक कपल का भी है जो वैसे तो लिव इन में रह रहा है, लेकिन अब उसे अपनी प्राइवेसी, अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। उसे लगता है कि यूसीसी के आने के बाद से ही वो समाज में और ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगा है।
यूसीसी को लेकर क्यों कर रहा कपल विरोध? असल में जिस कपल की बात यहां पर हो रही है, वो खुद को किसी एक जेंडर से रिलेट नहीं करते हैं, वे खुद को नॉन बाइनरी मानते हैं। ऐसे में पहले से ही समाज के कई सवालों का सामना उन्हें करना पड़ता है, लेकिन अब यूसीसी की नई गाइडलाइन्स की वजह से स्थिति और जटिल हुई है। इस कपल ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में उस जनहित याचिका का समर्थन किया है जो सीनियर एडवोकेट व्रिंदा ग्रोवर ने दायर की है। यह कपल उस याचिका का एक हिस्सा है। याचिका में इस कपल की चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।उस याचिका में कपल को इस बात से आपत्ति है कि आपको अपने लिव इन रिलेशनशिप को भी रेजिस्टर करना पड़ेगा। वहां भी सबसे बड़ी आपत्ति इस बात को लेकर है कि इस कपल को यूसीसी गाइडलाइन्स की वजह से अपना जेंडर वहां पर हेट्रोसेक्शुअल यानी कि स्ट्रेट बताना पड़ेगा। अब क्योंकि यह कपल तो खुद को नॉन बाइनरी मानता है, ऐसे में खुद को किसी दूसरे जेंडर में रखने को तैयार नहीं है।कपल का तर्क- शादियों में नहीं देखे अच्छे अनुभव ,इस कपल ने अपनी याचिका पर जोर देकर बोला है ,कि उसके परिवार में अच्छी शादियों का अनुभव नहीं रहा है, घरेलू हिंसा भी दोनों ने कई मौकों पर देखी है। इसी वजह से यह कपल अब अपने रिश्ते को किसी एक इंस्टीट्यूशन तक सीमित नहीं रखना चाहता है, वो अपने रिश्ते में आजादी चाहता है, आपसी सम्मान चाहता है। अब इस कपल ने अपनी सुरक्षा का जो मुद्दा उठाया है, उसकी भी एक अलग कहानी चल रही है।