
उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो

देहरादून। के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुसवा समेत एक अन्य नदी में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए खनन से संबंधित अधिकारियों को कल यानी मंगलवार को कोर्ट में तलब किया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल भी जारी रखी है।देहरादून निवासी वीरेंदर कुमार समेत अन्य लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुसवा (सुसआ) एवं एक अन्य नदी में खनन कार्य करने के लिए भारी भरकम मशीनों की अनुमति दी है. भारी मशीनों से खनन करने पर नदी का जलस्तर नीचे गिर गया है. साथ ही उनकी कृषि योग्य भूमि भी प्रभावित हो गई है। उन्हें सिंचाई के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है, इतना ही नहीं भारी मशीनों से खनन कार्य करने की वजह से स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं. पहले उनको नदी में खनन करने से रोजगार मिल जाया करता था, लेकिन जब से सरकार ने भारी मशीनों को खनन की अनुमति दी है. तब से स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि भारी मशीनों से खनन करने पर रोक लगाई जाए. उनकी कृषि योग्य भूमि को बचाया जाए और खनन के काम में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए, न कि मशीनों को,सरकार की तरफ से दी गई ये दलील: वहीं, सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि बरसात के दौरान नदी में भारी मात्रा में शिल्ट, गाद, बड़े बोल्डर आदि आ जाते हैं. जिसकी वजह से नदी का रास्ता ब्लॉक होकर अन्य जगह बहने लगता है. इसको हटाने के लिए मैन पावर की जगह मशीनों की जरूरत पड़ती है. इसलिए सरकार ने जनहित को देखते हुए मशीनों का उपयोग करने की अनुमति दी गई. ताकि नदी अपनी अविरल धारा में बहे, लेकिन इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इसका मुख्य कारण नदियों पर हुए अवैध खनन है।