उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
आध्यात्मिक अनुभूति और रोमांच से भरा है उत्तराखंड का गोमुख-तपोवन ट्रेक, कुदरत के नजारों के होते हैं दीदार, मां गंगा का है उद्गम स्थल,किरनकांत शर्मा, देहरादून:उत्तराखंड में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जिन्हें देखने के बाद नजर ही नहीं हटती, लेकिन इन जगहों तक पहुंचने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ता है. यहां तक पहुंचने में सांसें फूल जाती है. अगर आप पहुंच गए तो खूबसूरत नजारों को देख सारी थकान दूर हो जाती है. नजारे ऐसे कि नजर ही नहीं हटेगी. यहां तक पहुंचने का सफर भी बेहद रोमांचक होता है. ऐसे ही रोमांच से भरा ट्रेक है गोमुख-तपोवन ट्रेक. जो अपने आप में खास है।गोमुख या गौमुख क्यों पड़ा नाम?दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री मंदिर से आगे गोमुख-तपोवन ट्रेक है. गोमुख गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी यानी जीवनदायिनी धारा गंगा का उद्गम स्थल भी है. यह ग्लेशियर गाय के मुख के आकार का है, जिस वजह से इसे गोमुख या गौमुख कहा जाता है. गोमुख समुद्र तल से 13,200 फुट (4,023 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पहंचने के लिए गंगोत्री मंदिर से 18 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है.
खास है गोमुख-तपोवन ट्रेक:गोमुख से आगे की यात्रा में 5 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन है. कुदरत ने गोमुख, भोजवासा और तपोवन तक के इलाके को संवारने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया है. यहां पहुंचने पर ऐसा लगता है मानो अलग ही दुनिया हो. यह ट्रेक काफी कठिन है, लेकिन नजारे ऐसे मिलते हैं कि ट्रेक खुद ब खुद आसान हो जाता है. गोमुख को करीब से निहारने के लिए हर साल पर्यटक और ट्रेकर्स पहुंचते हैं।10 दिनों में 990 पर्यटक पहुंच चुके गोमुख:यही वजह है कि गोमुख-तपोवन ट्रेक पर जाने वाले पर्यटकों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. बेहद खूबसूरत और प्राकृतिक रूप से समृद्ध इस ट्रेक की तस्वीर किसी का भी मन हो सकती है. क्या देसी और क्या विदेशी, सभी पर्यटक गोमुख ट्रेक पर आ रहे हैं. अभी तक यानी इन 10 दिनों में 990 पर्यटक गोमुख का दीदार कर चुके हैं. इसके अलावा अब एक दल तपोवन भी पहुंच गया है।
