
उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो

ग्रामीण बोले, वन भूमि लीज पर लेने के नाम पर हो रहा है अतिक्रमणसंख्या बढ़ने से चारा-चुगान की भूमि हो रही है कम पुरोला। टौंस वन प्रभाग के तहत किरोली तपड़, सांद्रा, बैरियाणा, बेगल, लूणा गाड़ देवता रेंज वन, राजस्व और गांव की भूमि पर दशकों से रह रहे गुर्जर समुदाय का विभिन्न संगठन और स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि वन भूमि लीज के नाम पर अतिक्रमण हो रहा है, वहीं इनकी संख्या बढ़ने के कारण ग्रामीणों की चारा-चुगान की भूमि पर कम हो रही है।
बृहस्पतिवार को किरोली तपड़ में रूद्र सेना के संस्थापक राकेश उत्तराखंडी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गुर्जरों को क्षेत्र से हटाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। उन्होंने इस संबंध में एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा। उनकी मांग है कि मोरी क्षेत्र में टौंस वन प्रभाग, राजस्व भूमि और ग्रामीण गांव समाज की भूमि पर निवास कर रहे गुर्जरों की लीज समाप्त की जाए।वहीं गर्मियों में मैदानी इलाकों से पहाड़ों की ओर आने वाले गुर्जरों के परमिट रद्द और प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की। कहा कि देवता और सांद्रा रेंज समेत कई स्थानों पर गुर्जर समुदाय लीज के नाम पर वर्षों से रह रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग हर साल नए गुर्जरों को अपने साथ लाकर वन और राजस्व भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। आंदोलनकारियों ने कहा कि 1996 में टौंस और राजस्व मोरी क्षेत्र के गोरियाणा में 15, बेगल में 7, अप्लाई में 7, रूनसुन में 10, सटोरी में 8, भंखवाड़ में 12, मोरा में 3, नुणागाड़ में 4, किरोली तपड़ में 3, सांद्रा में 6 और छपाई जंगल में 3 गुर्जर परिवार रहते थे, जिनकी संख्या आज तीन गुना हो गई है।
कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं होती है, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर भानु प्रताप सिंह राणा, विजय कृष्ण महाराज, विवेक जोशी, विपिन चौहान, प्रेम सिंह चौहान, डॉ. राजेंद्र राणा, राजेंद्र सिंह रावत, बलवीर राणा, पवन राणा आदि मौजूद रहे। मामले में टौंस वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी कार्तिकेय ने बताया कि वन क्षेत्र में रह रहे गुर्जर परिवारों की लीज काफी पुरानी है, जिसकी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि कुछ गुर्जरों को लीज के दस्तावेज जल्द ही कार्यालय में लाने के लिए दो बार नोटिस जारी किया गया है। वहीं, एसडीएम मुकेश रमोला ने कहा कि इस संबंध में ज्ञापन मिला है। इसमें गुर्जरों से संबंधित सभी उठाए गए मुद्दों की वन विभाग और राजस्व विभाग की ओर से दस्तावेजों की जांच की जाएगी और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।