उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
उत्तराखंड का पारंपरिक व्यंजन ‘ग्विर्याल’ स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद है. नवेंदु रतूड़ी बताते हैं कि इसे जखिया के तड़के से तैयार किया जाता है. मेटाबॉलिज्म और त्वचा के लिए लाभकारी है।
ग्विर्याल उत्तराखंड का पारंपरिक व्यंजन है.
जखिया का तड़का ग्विर्याल का स्वाद दोगुना करता है.
ग्विर्याल मेटाबॉलिज्म और त्वचा के लिए लाभकारी है.
देहरादून: उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों की तरह यहां के व्यंजन भी बेहद खास होते हैं. यहां के पारंपरिक खानपान में जो देसी स्वाद है, वो न सिर्फ दिल को भाता है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. ऐसा ही एक पारंपरिक और लजीज व्यंजन है ‘ग्विर्याल’, जिसे हिंदी में ‘कचनार’ भी कहा जाता है. यह डिश पहाड़ों में पारंपरिक तरीके से तैयार की जाती है, और इसमें जखिया का तड़का इसका स्वाद दोगुना कर देता है।
जानिए ग्विर्याल बनाने की रेसिपी
देहरादून निवासी नवेंदु रतूड़ी बताते हैं कि ग्विर्याल बनाने के लिए सबसे पहले इसकी फूलियों को अच्छे से उबाला जाता है. इसके बाद इन्हें निचोड़कर एक ओर रख दिया जाता है. फिर कड़ाही में तेल गर्म कर उसमें जखिया का तड़का लगाया जाता है। पहाड़ों में अक्सर जीरे की जगह जखिया का उपयोग किया जाता है, जो भोजन को अलग ही स्वाद देता है।जब जखिया चटकने लगता है, तब उसमें कटी हुई हरी मिर्च, प्याज, टमाटर और लहसुन डालकर हल्का भून लिया जाता है. इसके बाद हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च और स्वादानुसार नमक मिलाकर मसाले को अच्छे से पकाया जाता है. जब मसाला अच्छी तरह से भुन जाए और तेल छोड़ने लगे, तो उसमें पहाड़ी नींबू की खटाई डाल दी जाती है. यदि यह नींबू शहरों में उपलब्ध नहीं हो, तो इसे “नमकवाली” इंस्टाग्राम पेज के माध्यम से मंगवाया जा सकता है।
