उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
उत्तराखंड में एजेंसी के जरिए रोडवेज में रखे गए कर्मचारियों को वेतन के संकट का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक जून का भी वेतन नहीं आया है। ऐसे में कर्मचारी कर्जा लेकर घर का खर्चा चलाने को मजबूर हैं।देहरादून में रोडवेज में एजेंसी के माध्यम से रखे गए 300 ड्राइवरों के सामने वेतन के लाले पड़ गए हैं। अगस्त का महीना आधा बीत गया है, लेकिन अब तक जून का वेतन भी नहीं मिल पाया। घर चलाना मुश्किल हो गया है। दूध-सब्जी, बच्चों की स्कूल फीस का खर्चा भी नहीं उठ पा रहा है। काशीपुर में तो एक ड्राइवर अपने दो साल बेटे के इलाज का बिल जमा नहीं करा पाया। अस्पताल ने बच्चे को छुट्टी नहीं दी। ड्राइवर ने नाते-रिश्तेदारों से उधार लेकर अस्पताल का 37 हजार रुपये का बिल चुकाया, तब जाकर बच्चे को अस्पताल से छुट्टी मिल पाई।बिल नहीं भरने पर दो दिन तक आईसीयू में रहा बच्चा,रोडवेज के रामनगर डिपो में एजेंसी के माध्यम से रखे गए ड्राइवर कपिल कुमार की पत्नी सीमा भी रोडवेज में संविदा कंडक्टर हैं। सीमा को समय पर वेतन मिल रहा है। उनके वेतन से ही घर चल रहा था। आठ अगस्त को कपिल के दो साल के बच्चे की तबीयत खराब हुई। बच्चे को काशीपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन आईसीयू में इलाज के बाद 10 अगस्त को बच्चे की छुट्टी होनी थी। इलाज का बिल 37 हजार रुपये बना। कपिल के पास बिल जमा करने के लिए पैसा नहीं था। नाते-रिश्तेदारों से उधार लेकर बिल चुकाया, तब जाकर बीते 13 अगस्त को बच्चे को छुट्टी मिल पाई।पैसे नहीं दिए तो दूध वाले ने भी बंद कर दी सप्लाई,हरिद्वार में परिवार के साथ किराये पर रह रहे ड्राइवर रमनकांत ने कहा कि एजेंसी ड्राइवरों से भेदभाव हो रहा है। समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। बिना वेतन काम कैसे करेंगे। दो महीने से दूध वाले का बिल नहीं दे पाया, दूध वाले ने दूध बंद कर दिया है। बच्चों की स्कूल फीस भरनी मुश्किल हो गई।
उधार लेकर जमा की बेटी की फीस
ऋषिकेश डिपो के ड्राइवर राहुल कुमार ने बताया कि उनकी बेटी की फीस हर महीने दस तारीख तक जमा होती है। पिछले महीने कुछ पैसा था तो फीस जमा कर दी थी, लेकिन इस महीने उधार लेकर फीस जमा की है। उन्होंने बताया, एजेंसी के ड्राइवरों की उपेक्षा की जा रही है। उनको ना तो वेतन समय पर दिया जाता है और ना ही परिचय पत्र दिया जाता है।पवन मेहरा, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज ने कहा, एजेंसी के माध्यम से 300 ड्राइवर रखे गए हैं। एजेंसी को दो मंडलों के ड्राइवरों का वेतन भेज दिया है। एक मंडल रह गया है। ड्राइवरों का एक महीने का वेतन का बिल 71 लाख रुपये होता है, जो एजेंसी को भुगतान किया जाता है। जल्द ही ड्राइवरों को जून का वेतन मिल जाएगा।वेतन नहीं मिलने पर घुटने का इलाज नहीं करवा पाए,देहरादून पर्वतीय डिपो में ड्राइवर नितिन कश्यप ने बताया कि उनके घुटने में चोट लगी थी। कुछ दिनों से दर्द हो रहा है। वे छह दिन ड्यूटी पर नहीं कर पाए। वेतन न मिलने से इलाज नहीं करा पाए। बच्चे पालने हैं तो ड्यूटी तो करनी पड़ेगी। वेतन नहीं मिलने से बिजली बिल, बच्चों की फीस, दूध का बिल नहीं भर पा रहे।
