उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
चिड़ियाघरों में कस्तूरी मृग के प्रजनन कार्यक्रम असफल रहे है. अल्पाइन और हिमालयी प्रजातियों की गलत पहचान हुई. सीजेडीए रिपोर्ट से पता चला कि अल्पाइन मृग का कोई ठोस कार्यक्रम नहीं चला. उत्तराखंड केंद्र 2006 में बंद. मृगों की संख्या घट रही, आईयूसीएन ने अति संकटग्रस्त कहा है।भारत में हिमालयी कस्तूरी मृगों को बचाने के प्रयास नाकाम रहे हैं. ये मृग अपनी खास खुशबू के लिए मशहूर हैं. लेकिन चिड़ियाघरों में इनके प्रजनन कार्यक्रम कभी सही तरीके से शुरू ही नहीं हुए. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडीए) की दिसंबर 2024 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. DTE ने आरटीआई से यह जानकारी मांगी थी।दो मुख्य प्रजातियां, लेकिन गलत पहचान,हिमालय में दो मुख्य प्रकार के कस्तूरी मृग हैं…
