उत्तराखंड डेली न्यूज:ब्योरो
याचिकाकर्ता प्रोफेसर नौटियाल का आरोप है कि श्रीप्रकाश सिंह की कुलपति नियुक्ति केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 और यूजीसी विनियम 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। मामले में हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) में कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह की नियुक्ति को विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि कुलपति की नियुक्ति में केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 और यूजीसी विनियम, 2018 का उल्लंघन हुआ है।वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने यूजीसी, केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा। अगली सुनवाई 10 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है।याचिकाकर्ता प्रो. नौटियाल का आरोप है कि प्रो. सिंह की कुलपति नियुक्ति केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 और यूजीसी विनियम, 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।उनका तर्क है कि नियुक्ति मनमानी और अवैध है और इससे मेरिट आधारित चयन की पवित्रता एवं संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन हुआ है। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि प्रो. सिंह का भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में चेयर प्रोफेसर का अनुभव विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के बराबर नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह संस्था यूजीसी के मानदंडों के अधीन नहीं आती।इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञापन में पात्रता स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में 10 वर्ष अनुभव तक सीमित किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि चयन समिति चयन प्रक्रिया के दौरान किसी भी सार्वजनिक पद के लिए पात्रता शर्तों को परिवर्तित या शिथिल नहीं कर सकती। ऐसी मनमानी नियुक्तियां शैक्षणिक संस्थानों की निष्पक्षता और जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति संविधान और नियमों के अनुरूप ही की जाए।
