उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
उत्तराखंड में पिछले तीन महीने से हो रही भारी बारिश और आपदाओं के कारण पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है, जिससे होटल, टैक्सी, और रेस्तरां कारोबारियों को 2013 की आपदा के बाद सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है।प्रदेश में पिछले तीन माह भारी बारिश और कई हिस्सों में आपदा से पर्यटन व्यवसाय चौपट हो गया है। इसका असर व्यापारियों, होटल कारोबारियों, टैक्सी संचालकों, दिहाड़ी वाले मजदूरों और रिक्शा संचालकों की माली हालत पर पड़ रहा है। देहरादून, पौड़ी और टिहरी समेत कई शहरों के होटलों में सितम्बर शुरू होते ही बुकिंग में कमी आ गई है। 2013 की आपदा के 12 साल बाद ऐसे हालात पैदा हुए हैं।होटल विष्णु पैलेस के एमडी रामकुमार गोयल ने बताया कि इस बार जुलाई- से बुकिंग में कमी आने लगी थी। इस समय उनके होटल में केवल दो-तीन कमरे ही बुक हैं। कुल 45 कमरे है। कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। टैक्स भुगतान की चिंता है। 2013 के बाद इस बार ऐसे हालात हैं। हालांकि अक्तूबर में सुधार की उम्मीद जताई है। होटल रमाडा के जीएम हर्षमणी सेमवाल ने बताया कि पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है। उनके होटल के 73 कमरों में से 9-10 ही बुक हैं। आगे के लिए बुकिंग नहीं मिल रही हैl पिछले साल सितंबर में 70-80 फीसदी तक बुकिंग थी। इस बार सितंबर के लिए 40% तक बुकिंग हुई। आधी बुकिंग पर्यटकों ने रद्द करा दी थी l पिछली बार सितंबर माह में लगभग एक करोड़ की आय हुई। इस बार सितंबर में यह 30 लाख भी नहीं है। पंजाब समेत तमाम राज्यों के पर्यटक आना चाहते हैं मगर वहां आई आपदा से वे घरों से निकल ही नहीं पा रहे हैं। सेमवाल ने कहा कि ऐसे हालात 2013 की आपदा के 12 साल बाद इस बार देखने को मिले हैं। होटल कर्मचारियों का वेतन, बिल भुगतान, बैंक की किस्त और टैक्स भुगतान कठिन हो गया है।होटल श्रृंगार के रमेश सेमवाल ने बताया कि सितंबर शुरू होते ही बुकिंग आनी बंद हो गई थी। 10-12 दिन बाद एक-दो कमरे बुक हो रहे हैं। पिछले दो-तीन दिन से तो एक भी कमरे की बुकिंग नहीं है। स्टाफ का वेतन भी नहीं निकल पा रहा है। होटल सवाई के मैनेजर गौरव बाली ने बताया कि उनके होटल में 80 कमरे हैं। 10-12 कमरे बुक हैं।
टिहरी में भी खाली हैं होटल
कानाताल और नई टिहरी में पिछले साल की अपेक्षा होटल 10 प्रतिशत भी बुक नहीं हैं। पर्यटकों की संख्या बहुत कम है। इससे होटल-रेस्टोरेंट कारोबार प्रभावित है। कारोबारियों का कहना है कि लंबे समय के बाद कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। होटल बुकिंग अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पा रही है।
पौड़ी जिले के खिर्सू में इस बार पर्यटक कम आए
पर्यटन स्थल खिर्सू में भी इस बार पर्यटक कम आए हें। पिछले साल जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में करीब तीन हजार पर्यटक आए थे। इस बार यह संख्या दो हजार के आस-पास है। जुलाई और अगस्त भी बुकिंग के हिसाब से ठीक नहीं रहा। गेस्ट हाउस संचालकों के मुताबिक एक या दो कमरे ही बुक हो पा रहे हैं। इस गेस्ट हाउस में 19 कमरे है। यदि मौसम ठीक रहा तो सितंबर 15 के बाद पर्यटकों के आने की उम्मीद है।
टैक्सी संचालकों को भी नहीं मिल रही सवारी
टैक्सी संचालक सुरेश भट्ट और मुकेश खरोला ने बताया कि लगातार बारिश के चलते पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आने से बुकिंग नहीं मिल पा रही है। इससे टैक्सियों की बैंक किस्त भरनी भी मुश्किल हो गई है। टैक्सी संचालकों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने सरकार से रोड टैक्स माफ करने की मांग की है।
मजदूरों को भी नहीं मिल पा रहा है काम
मजदूर संघ अध्यक्ष रणजीत चौहान ने कहा कि मसूरी में पर्यटकों की आमद घटने से रिक्शा संचालकों की रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है। दिनभर में रिक्शा संचालकों को एक भी सवारी नहीं मिल रही है। घर के खर्चे का संकट है। किशन सिंह, राम बहादुर को रोजगार नहीं मिल पाया है। 10 दिन से यह स्थिति बनी है।
मसूरी में व्यापार पर पड़ रहा बुरा असर
मसूरी व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि लगातार बारिश और प्रदेश में आपदा से पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आ गई है। इससे व्यापारबुरी तरह प्रभावित हो गया है। दुकानदार सुबह शाम तक खाली बैठे हैं। शहर के पर्यटक स्थल सूने हैं। सरकार को भी करोड़ों रुपए की राजस्व की हानि हो रही है। उपहार रेस्टोरेंट के संचालक नीरज ने बताया की 2013 की आपदा के बाद इस बार सितंबर माह में ऐसे हालात हैं कि स्टाफ की सेलरी तक नहीं निकल रही है। अन्य खर्चे अपने निजी स्रोतों से उठाने पड़ रहे हैं।
