उत्तराखंड डेली न्यूज :ब्योरो
यूपीसीएल के निजी बिजली कंपनियों से 783 करोड़ रुपये के तीन केस हारने के बाद, इसकी भरपाई के लिए उत्तराखंड के उपभोक्ताओं पर अगले दो साल तक बिजली के टैरिफ में लगभग 25 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है।उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं को अगले दो साल तक 25 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली का अतिरिक्त भार चुकाना पड़ सकता है। यूपीसीएल के केंद्रीय विद्युत अपीलीय प्राधिकरण (अपटेल) में लगातार 783 करोड़ रुपये के तीन केस हारने का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ने जा रहा है।विद्युत नियामक आयोग की ओर से यूपीसीएल को तीन अलग-अलग मामलों में कुल 783 करोड़ का भुगतान करने के आदेश दिए जा चुके हैं। यूपीसीएल को 11 किस्तों में निजी कंपनियों को भुगतान करना है। इस नुकसान की भरपाई के लिए बिजली के टैरिफ में इसे शामिल करने की तैयारी है। ऐसे में अप्रैल 2026 में जारी होने वाली बिजली दरों में ये भार आम जनता पर पड़ना शुरू हो जाएगा यूपीसीएल के अपने नुकसान की भरपाई के अलग ही मानक हैं। इसके तहत महंगी बिजली खरीदने, लाइन लॉस, केस हारने पर होने वाले नुकसान का ठीकरा हर बार उपभोक्ता के सिर पर ही फूटता है।
यूपीसीएल के खिलाफ उपभोक्ताओं ने खोला मोर्चा
यूपीसीएल निजी कंपनियों को किए जाने वाले इस 783 करोड़ का भार आम जनता पर न डाले, इसके लिए उपभोक्ता विद्युत नियामक आयोग पहुंच गए हैं। उपभोक्ताओं ने आयोग से मांग की है कि इन सभी प्रकरण में जनता से अतिरिक्त वसूली न की जाए। उत्तराखंड पहाड़ी महासभा की महासचिव गीता बिष्ट ने विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष को भेजे पत्र में कहा कि हर साल बिजली दरों में लगातार इजाफा हो रहा है। सालाना वृद्धि के साथ ही हर महीने भी अलग से बिजली महंगी की जा रही है। ऐसे में यूपीसीएल के कंपनियों से केस हारने का भी वित्तीय भार उपभोक्ताओं पर डाला गया तो इसका विरोध होगा। क्योंकि उपभोक्ता पहले ही स्मार्ट मीटर की खामियों से परेशान है। बिजली बिल दोगुना महंगा हो गया है। ऐसे में निजी कंपनियों को किए जाने वाले भुगतान पर यदि 10 प्रतिशत बिजली महंगी की जाती है, तो बिजली बहुत मंहगी हो जाएगी। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2026-27 में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के भेजे जाने वाले प्रस्ताव में इस खर्चे को शामिल न किया जाए।फर्नेश इंडस्ट्री के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा कि यूपीसीएल अपने खर्चो में किसी भी तरह की कटौती नहीं कर रहा है। न ही लाइन लॉस का कम कर पा रहा है। ऊपर से एक के बाद एक केस हार रहा है। इसके चलते बिजली लगातार महंगी हो रही है। उद्योग लगातार बिजली सस्ती किए जाने की मांग कर रहे हैं। महंगी बिजली का उद्योगों पर बुरा असर पड़ रहा है।
