उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को लेकर बड़ा फैसला लिया है.अब कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा. जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से अधिक समय बाकी है, उन्हें अगले दो साल के भीतर TET पास करना होगाभारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को लेकर बड़ा फैसला लिया है.अब कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा. जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से अधिक समय बाकी है, उन्हें अगले दो साल के भीतर TET पास करना होगा. अगर वे इस अवधि में परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो उन्हें सेवा छोड़नी पड़ेगी या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी. वहीं, जिनकी सेवा अवधि 5 साल से कम है, उन्हें TET पास करने की बाध्यता नहीं है, लेकिन वे प्रमोशन के लिए अयोग्य रहेंगे।यह नियम सरकारी और निजी दोनों शिक्षकों पर लागू होगा. हालांकि फिलहाल अल्पसंख्यक विद्यालयों को इससे छूट दी गई है. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंपा गया है. सितंबर 2025 से इसका सख्ती से पालन किया जाएगा.
गाज़ीपुर से शिक्षकों की आवाज़: नीरज राय का बयान
इस नियम पर गाज़ीपुर के केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक नीरज राय ने लोकल 18 से बातचीत की. उन्होंने कहा कि सरकार हर साल नियम बदल रही है, जिससे सबसे ज्यादा परेशानी बेरोजगार युवाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को हो रही है. कभी उम्र की सीमा बदल दी जाती है, कभी TET की पात्रता घटा-बढ़ा दी जाती है. नीरज राय का कहना है कि पहले जो शिक्षक नियुक्त हुए थे, उनकी भर्ती उस समय के नियम और पात्रता मानकों के हिसाब से हुई थी. अब सेवा के आखिरी वर्षों में उनसे TET पास करने को कहना न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जिसकी सेवा केवल 5 साल बची है, उसे यह कहना कि अब आप TET पास करें वरना नौकरी जाएगी — यह बिल्कुल उचित नहीं लगता.
50 की उम्र में 25 वालों से मिलेगा कंपटीशन
नीरज राय का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ट्रेनिंग और नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करना ज्यादा व्यावहारिक कदम होता. प्रमोशन पाने वाले और नए भर्ती होने वाले शिक्षकों के लिए यह नियम कुछ हद तक सही हो सकता है. क्योंकि वे पहले से इस पात्रता के बारे में जानते हैं. लेकिन वरिष्ठ शिक्षकों के लिए यह नियम चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि 50-55 साल की उम्र में फिर से पढ़ाई करके नया सिलेबस क्लियर करना आसान नहीं है. पहले से ही विद्यालयों का कामकाज और प्रशासनिक दबाव शिक्षकों पर है, ऐसे में तैयारी के लिए समय निकालना कठिन है. सरकार और न्यायालय को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि शिक्षा व्यवस्था भी सुधरे और कार्यरत शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ भी न पड़े।
