उत्तराखंड डेली न्यूज:ब्योरो
देहरादून में 12 किलोमीटर का सफर बचाने के लिए रिजर्व फॉरेस्ट के शॉर्टकट रास्ते से जा रहे एक परिवार के 12 साल के बालक को हाथी ने उनके माता-पिता के सामने ही पटक कर मार डाला, जिससे वन विभाग की चेतावनी के बावजूद लोगों की जोखिम भरी गतिविधियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।जिस सड़क पर हाथी ने बालक पर हमला किया वह रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर से जाती है। वहां हाथियों और अन्य जंगली जानवरों का खतरा हमेशा रहता है। लेकिन लोग शॉर्टकट के चक्कर में भारी जोखिम उठाकर जाने से नहीं कतराते। मृतक कुणाल के पिता कमल ने भी 12 किलोमीटर का सफर बचाने के चक्कर में खुद के साथ पत्नी और बेटे की जान जोखिम में डाल दी। बेटे को वह इस शॉर्टकट के चक्कर में गंवा बैठे।दरअसल रेहडखाला-कालूवाला कच्चे वन मोटर मार्ग भोपालपानी पुल से कालूवाला मंदिर के पास निकलता है। जो करीब तीन किलोमीटर का शार्टकट रास्ता है। वहीं ये दूरी मुख्य मार्ग से जाने पर करीब 15 किलोमीटर की है। यानी करीब 12 किलोमीटर की दूरी इस शार्टकट का रिस्क लेने से कम हो जाती है। यही सोचकर कमल ठाकुर स्कूटर से उस रास्ते निकले। रेंजर नत्थीलाल ने बताया कि वहां वन विभाग लोगों को जाने से रोकता है, लेकिन फिर भी लोग चोरी-छिपे उस रास्ते से चले जाते हैं।
हाथी को सामने देख घबरा गए माता-पिता
माता-पिता की आंखों के सामने 12 साल के बच्को को हाथी ने पटक मार डाला। लाचार माता-पिता चीखते-चिल्लाते रहे, लेकिन जंगल में उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। अचानक हाथी के सामने आने पर माता-पिता घबरा गये थे। बीते साल भी थानों के जंगल लकड़ी बीनने गये दो लोगों को हाथी ने पटक मार डाला था। मारे गए किशोर के माता-पिता दिहाड़ी-मजदूरी करते हैं। तीन दिन पहले भी मॉर्निग वॉक पर निकले लच्छीवाला निवासी ओएनजीसी रिटायर्ड कर्मी मनीराम थापा पर हाथी ने हमला कर घायल कर दिया था। हाथी ने सप्ताह भर पहले माजरीग्रांट स्थित मिलट्री इक्विपमेंट फैक्ट्री की चहारदीवारी को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
बालक की मौत से घर में मचा कोहराम
हाथी के हमले में बालक की मौत के बाद उसके घर में कोहराम मचा है। वन विभाग की लच्छीवाला और आसपास की रेंज लगातार लोगों को जागरूक कर चेतावनी जारी कर रही है। बावजूद, न तो लोगों की वन क्षेत्र में गतिविधियां रुक रही हैं और न ही वनकर्मी ही लोगों को वन में जाने से रोक पा रहे हैं। खास है कि मनीराम के घायल होने के बाद वनकर्मियों की टीम हाथियों पर ड्रोन से भी निगरानी कर रही हैं। बावजूद, गुरुवार की घटना ने लोगों की जागरूकता पर ही सवाल खड़े नहीं किए, बल्वि कनकर्मियों की सतर्कता को भी संदेह के घेर में ला दिया है।
