उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
उत्तराखंड सरकार ने बजट को विभागों के कामकाज का आईना बनाने की पहल की है। अब विभागों के प्रदर्शन का आकलन उनके बजट के उपयोग और उससे होने वाले लाभ के आधार पर किया जाएगा। लोक निर्माण पेयजल पशुपालन पर्यटन और ग्राम्य विकास जैसे विभागों के लिए अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। इस नई व्यवस्था से बजट खर्च में गुणवत्ता और पारदर्शिता आएगी।लोक निर्माण ने प्रतिदिन कितने किमी सड़क बनाई, मानसून से पहले और बाद में कितनी सड़कों का अनुरक्षण किया, बजट खर्च के बही-खाते में यह ब्योरा विभाग के प्रदर्शन का पैमाना होगा। यानी बजट के उपयोग में सुस्ती, लापरवाही, या अधिक बजट ठिकाने लगाने का कोई भी प्रयास छिपाया नहीं जा सकेगा। इसी प्रकार पेयजल विभाग के लिए घरों में स्वच्छ जलापूर्ति, वाटर टेस्टिंग, वाटर मीटर की स्थापना जैसे कदम बजट उपयोग के प्रदर्शन का मानक होंगे। पुष्कर सिंह धामी सरकार की महत्वपूर्ण पहल अब बजट को विभागों के कामकाज का आईना बनाने जा रही है।चालू वित्तीय वर्ष से पहली बार विभागों के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतांक सूचकांक (केपीआइ) और प्रमुख परिचालन सूचकांक केओआइ (केओआइ) तय किए जा रहे हैं। विभागों के बजट खर्च की प्रगति और उसकी गुणवत्ता जानने में केपीआइ और केओआइ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अधिक बजट ठिकाने लगाने को अब विभागों की उपलब्धि नहीं माना जाएगा, बल्कि उससे होने वाले लाभ, आमजन तक पहुंचने वाली सुविधा और लक्ष्य प्राप्ति में योगदान के पैमाने पर उसे आंका जाएगा। विशेष रूप से पूंजीगत मद में निर्माण और विकास कार्यों के लिए वार्षिक बजट 14,763 करोड़ के खर्च में प्रदर्शन को इसी आधार पर आंका जाएगा।
पशुपालन बताएगा, आइटीबीपी को मीट की कितनी हुई आपूर्ति
उदाहरण के तौर पर पशुपालन को बजट खर्च में अपने प्रदर्शन को दिखाने के लिए बताना होगा कि सकल दुग्ध उत्पादन वृद्धि में उसका कितना योगदान है। इसके लिए वर्षवार तुलनात्मक विवरण भी देना होगा। साथ में आइटीबीपी को चिकन, मीट की आपूर्ति भी उसके प्रदर्शन में सम्मिलित होगी। दुग्ध विकास विभाग के लिए दुग्ध फेडरेशन के सदस्यों के लाभांश, दुग्ध निर्यात को संकेतांक के तौर पर लिया गया है। मार्केटेबल सरप्लस, राज्य में खपत, उत्पादकता में वृद्धि, कोल्ड चेन में वृद्धि, सगंध खेती के क्षेत्रफल में वृद्धि के आधार पर उद्यान विभाग के प्रदर्शन को मापा जाएगा।
