उत्तराखंड डेली न्यूज :ब्योरो
समय बदला, गांवों में बिजली आई, सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन लोक परंपराओं की वह गर्माहट आज भी कई गांवों में जिंदा है। इन्हीं परंपराओं के बीच एक गांव ऐसा भी है, जिसने अपनी अनोखी जीवनशैली की वजह से देशभर का ध्यान खींच लिया है एक ऐसा गांव जहां किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता, फिर भी कोई भूखा नहीं रहता।भारत के गांव सदियों से अपनी सरल जीवनशैली, परंपराओं और आत्मीयता के लिए पहचाने जाते हैं। कभी मिट्टी के घर, मिट्टी के चूल्हे और कुओं का मीठा पानी ग्रामीण जीवन की पहचान हुआ करते थे। समय बदला, गांवों में बिजली आई, सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन लोक परंपराओं की वह गर्माहट आज भी कई गांवों में जिंदा है। इन्हीं परंपराओं के बीच एक गांव ऐसा भी है, जिसने अपनी अनोखी जीवनशैली की वजह से देशभर का ध्यान खींच लिया है एक ऐसा गांव जहां किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता, फिर भी कोई भूखा नहीं रहता। आइए जानते हैं इसके बारे में।गुजरात का चांदणकी गांव,गुजरात के चांदणकी गांव की यह अनोखी परंपरा सुनकर किसी को भी हैरानी हो सकती है। आमतौर पर हर घर में रसोई होती है, जहां परिवार का भोजन तैयार होता है, लेकिन चांदणकी में ऐसा नहीं है। लगभग हजार की आबादी वाला यह गांव सामूहिक रसोई की अनोखी परंपरा निभाता है, जहां रोज़ाना पूरे गांव का भोजन एक ही स्थान पर पकाया जाता है और सभी ग्रामीण वहीं बैठकर साथ में भोजन करते हैं। यह परंपरा सिर्फ खाने का तरीका नहीं, बल्कि गांव की गहरी एकता और सामाजिक सौहार्द की मिसाल है।
