उत्तराखंड डेली न्यूज :ब्योरो
उत्तराखंड के लोगों को गाजियाबाद में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां के निजी अस्पतालों में उत्तराखंड मूल के आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को अब भर्ती नहीं किया जा रहा। इसके चलते उन्हें इलाज के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है, जिससे परिजनों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है।उत्तराखंड के लोगों को गाजियाबाद में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां के निजी अस्पतालों में उत्तराखंड मूल के आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा। इसके चलते उन्हें मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही, जिससे परिजनों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है।गाजियाबाद में बड़ी संख्या में उत्तराखंड के लोग रहते हैं। उनके आयुष्मान कार्ड भी मूल पते के ही बने हुए हैं। नए नियमों के मुताबिक, अब उत्तराखंड के मरीजों को अपने मूल जिले से रेफर लेटर लाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बाद ही कार्ड से इलाज मिल सकेगा। नए नियम से मरीजों को न केवल इलाज मिलने में देरी हो रही, बल्कि उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ गया है।सिद्धार्थ विहार निवासी देवभूमि उत्तराखंड समिति के सचिव नंद नेगी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार इस नियम पर पुनर्विचार करे, ताकि मरीजों को आपातकालीन स्थिति में आसानी से इलाज मिल सके।गाजियाबाद के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश तेवतिया ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने नियम बनाया है कि मरीज को इलाज के लिए जिले से रेफर होना जरूरी है। बिना रेफर के दूसरे राज्य में कार्ड से इलाज संभव नहीं है। हालांकि बिहार, मध्य प्रदेश और अन्य कई राज्यों में ऐसा प्रावधान नहीं है। वहां के मरीज सीधे इलाज करा सकते हैं।
मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले लोगों को परेशानी
शास्त्रीनगर निवासी राम सिंह रावत ने बताया कि उन्हें गुर्दे में पथरी है। उनके पास आयुष्मान गोल्डन कार्ड मौजूद है। मंगलवार को उन्होंने पटेल नगर स्थित एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए भर्ती लिया गया, लेकिन डॉक्टर ने बताया कि बिना रेफर लेटर के आयुष्मान कार्ड सक्रिय नहीं होगा। ऐसे में इलाज का खर्च निजी रूप से देना पड़ेगा। राम सिंह की स्थिति गंभीर थी, इसलिए उन्हें भर्ती कराना पड़ा। डॉक्टर ने ऑपरेशन और अन्य खर्च मिलाकर 70 हजार रुपये का बिल बताया। इससे परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया।
